बिहार में LJP चाचा-भतीजे के बीच दो गुटों में बंट चुकी है. रामविलास पासवान के सियासी विरासत पर खुद को स्थापित करने के लिए चाचा पशुपति कुमार पारस ( pashupati kumar paras) और भतीजे चिराग पासवान (chirag paswan) जुटे हैं. वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को पशुपति पारस को फोन करके बातचीत की. अमित शाह का फोन ऐसे समय आया है, जब केंद्र की मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार की चर्चा तेज है. ऐसे में पशुपति को अमित शाह का आया फोन चिराग पासवान के लिए सियासी तौर पर चिंता बढ़ाने वाला माना जा रहा है.
बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष के बीच मुलाकात के बाद सियासी हलचल तेज हो गई. वहीं दिल्ली के साथ-साथ बिहार की राजनीति पटना में भी मोदी कैबिनेट विस्तार पर चर्चा शुरू हो गई है. ऐसे में सबसे ज्यादा चर्चा रामविलास पासवान की जगह मंत्री बनने वाले नेता की है, जिसके लिए चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों ही दावेदार माने जा रहे हैं.
रामविलास पासवान की जयंती के मौके पर सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह ने LJP संसदीय दल के नेता पशुपति कुमार पारस को फोन किया. अमित शाह का फोन केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार (modi cabinet expansion) से जोड़ कर देखा जा रहा है. हालांकि पारस ने इस तरह की बातें खारिज की और कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने फोन कर रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि दी है.
पशुपति पारस ने कहा कि केंद्र की कैबिनेट विस्तार पर अमित शाह से कोई बात नहीं हुई है. मंत्रिमंडल का विस्तार पीएम मोदी का विशेषाधिकार है. पारस ने कहा कि जानकारी मिल रही है कि 1-2 दिनों में केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है. पशुपति पारस भले ही खुलकर मंत्री बनने की बात को स्वीकार न कर रहे हों, लेकिन जिस तरह से रामविलास पासवान की जंयती पर पत्रकारों ने पूछा गया कि क्या मंत्री बनने वाले है, क्या अमित शाह का फोन आया था तो उन्होंने कहा कि राज को राज रहने दो.
बता दें कि पिछले दिनों रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस ने पार्टी नेताओं के साथ मिलकर भतीजे चिराग के खिलाफ एक अलग मोर्चा खोल दिया. पशुपति के साथ एलजेपी के अन्य 4 सांसद भी आ गए और चिराग से बगावत कर उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया. इस दौरान चिराग ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए खुलकर बोला और कहा कि अपने हनुमान का राजनीतिक वध होता देख राम खामोश नहीं बैठेंगे.
ऐसे में चिराग पासवान को उम्मीद थी कि मोदी उन्हें अपनी कैबिनेट में जगह देंगे. लेकिन, नीतीश कुमार और जेडीयू ने जिस तरह से पशुपति पारस के कंधे पर पीछे से हाथ रखा है, उसे देखते हुए चिराग के मंत्री बनने की संभावना बहुत कम है. इतना ही नहीं अमित शाह के पशुपति पारस को फोन करने के बाद संभावना पूरी तरह से खत्म होती दिख रही है.
गौरतलब है कि LJP पहले से ही मोदी कैबिनेट में शामिल थी. रामविलास पासवान मोदी कैबिनेट में मंत्री थे. लेकिन उनके निधन के बाद LJP की हिस्सेदारी केंद्रीय कैबिनेट से खत्म हो गई थी. बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग ने एनडीए से अलग होकर इलेक्शन में आने का फैसला लिया था. वहीं, पशुपति पारस ने पार्टी सांसदों को अपने साथ मिला लिया है, जिसके चलते चिराग अकेले पढ़ गए हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि LJP कोटे से पशुपति के मंत्री बनने की संभावना बढ़ गई है.