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आसाराम पर बिहार की राह चले नरेन्द्र मोदी

नरेन्द्र मोदी ने आसाराम को भले ही अब जाकर अवैध रूप से कब्जा किए जमीन को खाली करने का नोटिस थमाया दिया हो पर कम ही लोग जानते होंगे कि बिहार उन्हें पहले ही पटना के उनके अवैध आश्रम से बेदखल कर चुका है.

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आसाराम
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नरेन्द्र मोदी ने आसाराम को भले ही अब जाकर अवैध रूप से कब्जा किए जमीन को खाली करने का नोटिस थमाया दिया हो पर कम ही लोग जानते होंगे कि बिहार उन्हें पहले ही पटना के उनके अवैध आश्रम से बेदखल कर चुका है. पटना में भी आसाराम ने करोड़ों की जमीन पर कब्जा कर रखा था. लेकिन राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड़ ने उनकी दाल नहीं गलने दी और ढाई साल की कानूनी और प्रशासनिक लड़ाई के बाद न सिर्फ 300 साल पुरानी मठ की जमीन को खाली कराया बल्कि आसाराम के समर्थकों को पुलिस लगाकर बाहर भी किया.

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आसाराम के समर्थकों ने 2005 में 300 साल पुरानी 13 कठ्ठा जमीन पर बने की भीखमदास ठाकुरबाड़ी पर जबरन कब्जा कर लिया था. लेकिन कब्जा तब छोड़ा जब आसाराम की गिरफ्तारी पर बन आई.

पटना के बीचोबीच शहर का सबसे पुराना वीआईपी इलाका है, राजेन्द्र नगर जिसकी भीखम दास ठाकुरबाड़ी की 13 कठ्ठा जमीन को आसाराम के समर्थकों ने जबरन कब्जा कर रखा था, लेकिन 2008 में ही इसे उनके कब्जे से छुड़ा लिया गया, कब्जा से मुक्त कराने का श्रेय भी गुजरात काड़र के आइपीएस रहे और बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड़ के अध्यक्ष किशोर कुणाल को जाता है. हालांकि छुड़ाई गई जमीन पर आज भी आसाराम के भजन का मंड़म मौजूद है जहाँ लोहे के बने इस मंड़म में आसाराम के भक्त यहां उनकी पूजा और भजन करते थे. लेकिन 2008 में खाली होने के बाद यहाँ मौजूद आसाराम से जुड़ी चीजे आज भी एहसास दिलाती है कि यहाँ कभी उनका कब्जा रहा था.

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आसाराम और उनके समर्थकों ने 2005 में ही इसपर कब्जा कर लिया था, कड़ी मशक्कत के बाद बिहार राज्य धार्मिक बोर्ड़ ने 2008 में आसाराम के समर्थकों से ये जमीन खाली करा ली. इस जमीन को खाली कराने में आसाराम समर्थकों और पुलिस के बीच सड़क पर हिंसक झड़प तक हुई थी. किशोर कुणाल बताते हैं कि 25 दिसंबर 2005 को भीखमदास ठाकुरबाड़ी की 13 कठ्ठा जमीन को अवैध कबजा किया था. 2006 में मै जब यहां आया और जानकारी मिली, धार्मिक न्यास बोर्ड़ को अधिकार है कि जबरन कब्जा अगर कोई कर ले तो सुनवाई कर उसे हटाया जा सकता है, मैने अपने यहाँ सुनवाई की, हाईकोर्ट का आदेश लिया पर उसका भी पालन उन्होंने नहीं किया, तब हमने इसे खाली कराया.

दरअसल आसाराम के समर्थक विवादित और कानूनी प्रक्रिया में उलझे जमीन को ही निशाना बनाते रहे है. यही वजह है कि पटना में भी उन्होंने शहर के बीचोबीच भीखम दास ठाकुराबाड़ी को चुना जिसपर पुराना विवाद था लेकिन कानून का मजाक देखिए आसाराम ने हारे हुए शख्स से ही विवादित जमीन लिखवा ली और कब्जाकर आसाराम की तस्वीर टाँगी और इसे आसाराम का आश्रम बना दिया. किशोर कुणाल के मुताबिक अगर आसाराम परोपकारी हैं तो वे 10 करोड़ का अस्पताल बनवा दें तो ये जमीन दे देता हूँ. किशोर कुणाल बताते हैं कि, 'मुझे लगता है इनके दूत सब जगह जाते है जमीन कब्जा करते हैं और सिविल लिटीगेशन इतना लंबा चलता है कि तबतक कोई अधिकारी या मंत्री अनुकूल मिल जाते है. तो ऐसी स्थिति में या तो प्रक्रिया धीमी हो जाती है या उसको रेगुलराइज कर दिया जाता है.

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हालांकि आसाराम ने इसके बाद एक कबीरपंथी मठ पर अपनी लालची नजर गड़ाई थी पर वहाँ भी धार्मिक न्यास बोर्ड़ ने इन्हें नोटिस दे दिया जिसके बाद फिलहाल बिहार में आसाराम ने 5 सालों कोई और जमीन हड़पने की कोशिश नहीं की है.

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