नीतीश कुमार भले ही बिहार में कृषि क्रांति का दम भर रहे हों, लेकिन नरेन्द्र मोदी ने अब नीतीश के इस अभेध किले में भी सेंध लगाने की तैयारी कर ली है. नरेन्द्र मोदी, बिहार में इन्द्रधनुषी क्रान्ति के अगुआ रहे बिहार के 76 उन किसानों को सम्मानित करने जा रहे हैं, जिन्होंने हाल के सालों में बिहार की कृषि की तस्वीर बदलकर रख दी.
नरेन्द्र मोदी ने इन किसानों को 9-10 सितम्बर को गुजरात के गांधीनगर में होने वाले वाइब्रेंट गुजरात एग्रीकल्चर समिट 2013 में बुलाया है. इसी समिट में खेती की दिशा बदलने वाले किसानों को मोदी अपने हाथों से सम्मानित करेंगे.
सियासत कैसे-कैसे रंग दिखाती है, नीतीश और मोदी जिस सेकुलरिज्म के नाम पर अलग-अलग खड़े हैं, वहीं मोदी का ये दांव नीतीश को चिढ़ाने के लिए काफी है.
दरअसल, बिहार सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीन आनेवाला 'बामेती' यानी बिहार कृषि प्रबंधन प्रसार एवं प्रबंधन संस्थान ऐसे किसानों को चुन रहा है, जो नरेन्द्र मोदी के हाथों ये पुरस्कार लेंगे. नीतीश ने राज्य में दूसरी हरित क्रांति (इन्द्रधनुषी क्रान्ति) का नाम देकर खूब सुर्खियां बटोरीं. लेकिन नीतीश के इस ड्रीम प्रोजेक्ट से मोती चुनकर सियासी रंग देने की मोदी की पूरी तैयारी है.
मोदी की ये योजना बिहार के गांव और किसान से जुड़कर उनसे सीधा संवाद स्थापित करने के उनके प्रयास से जोड़कर देखा जा रहा है. इससे पहले सरदार पटेल की मूर्ति बनाने को लेकर गांव-गांव से लोहा मांगने को लेकर पहले ही बिहार में राजनीति तेज हो चुकी है.
साफ है नीतीश से नाराज तो मोदी के निशाने पर पहले से ही थे अब तो नीतीश के मुरीदों को भी मोदी पटाने में जुट गए हैं. बामेती के निदेशक राजकुमार सिंह के मुताबिक, 'गुजरात सरकार का आमंत्रण मिल चुका है, इस समिट में बिहार के प्रत्येक जिले से दो प्रगतिशील किसानों को भेजा जाएगा, जिसे चुनने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है.'