बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के कथित लहर को लेकर भले ही पार्टी और अन्य दलों के नेता आमने-सामने हों, परंतु मोदी के इसी लहर की अग्निपरीक्षा बिहार के मिथिलांचल और सीमांचल में होनी है. वैसे कोसी क्षेत्र की भी कुछ सीटें पर भाजपा के उम्मीदवारों को कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ा है.
बिहार में होने वाले छह में से तीन चरणों का मतदान संपन्न हो चुका है जबकि चौथे चरण का मतदान 30 अप्रैल को होना है. चौथे चरण में जिन सात संसदीय क्षेत्रों में चुनाव होना है उसमें मधुबनी, झंझारपुर, मधेपुरा, दरभंगा, समस्तीपुर, बेगूसराय और खगड़िया शामिल हैं.
मधुबनी और दरभंगा पर जहां भाजपा के प्रत्याशी विजयी हुए थे, वहीं शेष सभी पांच सीटों पर जेडीयू के प्रत्याशी ने कब्जा जमाया था, लेकिन इस चुनाव में परिस्थितियां बदली हैं.
बीजेपी से अलग होकर जहां जेडीयू अकेले चुनाव मैदान में है वहीं बिहार में मुख्य राजनीतिक दलों में सुमार राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अपने सोशल इंजीनियरिंग को दुरूस्त कर कांग्रेस के 'हाथ' के सहारे चुनावी मैदान में खम ठोंक रही है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चौथे चरण में होने वाले सात संसदीय क्षेत्रों में मोदी के लहर की अग्निपरीक्षा होगी. इन मुस्लिम बहुल संसदीय क्षेत्रों में ना केवल मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है बल्कि यादव मतदाताओं की संख्या भी किसी भी चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं.
राजनीति विश्लेषक और पत्रकार संतोष सिंह कहते हैं कि राज्य में मुस्लिम आबादी 17 प्रतिशत है और यहां के सीमांचल, मिथिलांचल तथा कोसी क्षेत्र के 13 लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां मुसलमानों की आबादी 18 से 44 प्रतिशत के बीच है.
वह कहते हैं कि राज्य में अधिकांश सीटों पर त्रिकोणात्मक संघर्ष है परंतु मुस्लिम मतदाताओं की संख्या परिणाम को प्रभावित करने की स्थिति में हैं. संतोष कहते हैं कि अभी तक हुए तीन चरणों के मतदान पर गौर करें तो मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के मतदान केन्द्रों पर भारी मतदान हो रहा है, ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि आखिर मुस्लिम मतदाता किस पार्टी को वोट दे रहे हैं.
वैसे राजनीतिक जानकार यह भी कहते हैं कि इस चुनाव में आरजेडी को जहां एम-वाई (मुस्लिम-यादव) का भरपूर साथ मिल रहा है वहीं बीजेपी को मोदी लहर के असर का साथ है. इस चरण में दरभंगा और मधुबनी संसदीय क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है. ऐसे में ब्राह्मण मतदाताओं का ध्रुवीकरण भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करेंगे.
जैसे-जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आ रही है वैसे-वैसे सभी दलों ने चुनाव प्रचार को तेज कर दिया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनी मधेपुरा (मधेपुरा से जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव चुनाव लड़ रहे हैं) में कैम्प कर लिए हैं वहीं मोदी भी मधुबनी, सहरसा और दरभंगा में चुनावी सभा को संबोधित कर चुके हैं. इधर, आरजेडी के लालू प्रसाद भी प्रतिदिन चुनावी सभा द्वारा मतदाताओं को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं.