इराक के मोसुल में साल 2014 में 39 भारतीयों का आईएसआईएस ने अपहरण कर लिया था, उन सभी के जिंदा होने की उम्मीद बहुत कम बची थी लेकिन आज जैसे ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उनकी मौत की खबर दी तो परिवारवालों के दिल में वर्षों से पल रही आस टूट गई.
वर्षों से उनके लौट आने का इंतजार कर रहे उनके परिवार का इंतजार तो अब खत्म हो गया लेकिन इस खबर के बाद वो टूट गए और आंसूओं का सैलाब निकल पड़ा. इन 39 भारतीयों में से 2 बिहार के सिवान जिले के गांव सासाराम के रहने वाले थे.
एक ही गांव के दो नौजवानों की हत्या उनके घर से हजारों किलोमीटर दूर आईएसआईएस के क्रूर हाथों ने कर दी. उनके साख- साथ परिवार के उन अरमानों की भी हत्या हो गई जो उनके परिवार के सदस्यों को इतनी दूर मोसुल इसलिए ले गई थी कि वो वहां कमा सकें और उनके परिवार के जीवन स्तर बेहतर हो सके, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
सिवान के सासाराम गांव के दो नौजवान दोस्त विद्या भूषण तिवारी और संतोष सिंह वर्ष 2011 में अपने घरों से मोसुल के लिए निकले थे. ये किसी ऐजेंट के जरिए एक निर्माण कंपनी में काम करने के लिए गए थे. एजेंट ने इन्हें कई बड़े सपने दिखाए लेकिन वहां जाने के बाद ये काफी परेशान रहते थे.
विद्या भूषण तिवारी के परिवारवालों की उनसे आखिरी बातचीत वर्ष 2012 में हुई थी. वहीं संतोष सिंह के पिता चंद्रमोहन सिंह ने बताया कि संतोष से उनकी आखिरी बात 16 जून 2014 को हुई थी.
2014 में अनजान व्यक्ति ने फोन कर दी थी मौत की जानकारी
विद्या भूषण के चाचा पुरुषोत्तम तिवारी बताते हैं कि साल 2014 के दिसंबर महीने एक अनजान व्यक्ति ने कहा इराक से उन्हें फोन किया था और कहा था कि विद्या इज डेड.
इनके परिवारवाले इनकी खैरियत जानने के लिए लगातार विदेश मंत्रालय से संपर्क में थे, लेकिन मंत्रालय से यही कहा जाता रहा कि वो सुरक्षित हैं. परिवारवालों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी मुलाकत की थी, लेकिन इनके परिवार को आज मीडिया से जानकारी मिली कि इनकी हत्या हो चुकी है. हांलाकि 2017 में विदेश मंत्रालय की तरफ से परिवारवालों का ब्लड सैपल मंगवाया गया था ताकि उनका डीएनए टेस्ट हो सके, लेकिन तब भी परिवारवालों को उनके मरने की जानकारी नहीं दी गई.
इनकी मौत की खबर आने के बाद पूरे गांव में मातम छा गया है. परिवारवालों का रो- रोकर बुरा हाल है. विद्या भूषण की शादी भी हो चुकी थी. विद्या भूषण तिवारी के दो बच्चे हैं एक का नाम अनीश और दूसरी का नाम खुशी है. उनकी पत्नी पूनम देवी का रो- रोकर बुरा हाल है. उनका कहना है कि अब बच्चों को कौन देखेगा, सरकार को कम से कम इन बच्चों की पढ़ाई का खर्च तो देना चाहिए. दोनों बच्चों की उम्र 8 से 10 साल के बीच है.