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बिहार: हिंदू दोस्त को वार्ड पार्षद बनाने के लिए मुस्लिम शख्स ने दिया पद से इस्तीफा

बिहार के गया में एक मुस्लिम शख्स ने दोस्ती की शानदार मिसाल पेश की है. अपने हिंदू दोस्त को वार्ड पार्षद बनाने के लिए मुस्लिम शख्स ने पार्षद पद से इस्तीफा दे दिया. वो साल 2002 से ही निर्विरोध चुनाव जीतते रहे हैं.

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मुस्लिम शख्स ने पेश की दोस्ती की मिसाल
मुस्लिम शख्स ने पेश की दोस्ती की मिसाल

दोस्त का कोई मजहब नहीं होता, मगर कुछ दोस्ती के किस्से मिशाल बन जाते हैं. बिहार के गया में दो हिंदू-मुस्लिम दोस्तों ने मजहब के नाम पर माहौल बिगाड़ने वालों को एक आईना दिखाया है.

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दरअसल गया नगर निगम क्षेत्र के वार्ड संख्या 26 से अबरार अहमद लगातार वार्ड पार्षद बनते आ रहे हैं, वो 2002 से लगातार चुनाव जीत रहे हैं और कई बार निर्विरोध भी चुने गए हैं.  निगम के पूर्व डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव भी अपना भाग्य वार्ड संख्या 11 से आजमा रहे थे लेकिन जनता ने उन्हें नहीं चुना और वे चुनाव हार गए. 

डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव के खास दोस्त रहे अबरार अहमद ने मोहन श्रीवास्तव को अपने वार्ड से चुनाव लड़ाने के लिए खुद पार्षद पद से इस्तीफा दे दिया है. अपने दोस्त मोहन श्रीवास्तव को नगर निगम चुनाव जिताने के लिए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है.
 
गया नगर निगम के वार्ड पार्षद का चुनाव हारने के बाद वापस निगम में  जाने के लिए उनके पास दो ही रास्ते बचे थे. एक तो वार्ड 15 में होने वाले पार्षद पद के चुनाव में वो फिर से किस्मत आजमाते या किसी दूसरी सीट से निर्विरोध पार्षद चुनकर नगर निगम में प्रवेश कर जाते.

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उन्हें दोबारा पार्षद चुनाव जिताने के लिए ही अबरार अहमद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. वार्ड संख्या 26 से वो और वार्ड नंबर 25 से उनकी पत्नी तबस्सुम प्रवीण लगातार निर्विरोध चुनाव जीतती रही हैं.

अबरार अहमद ने बताया की चुनाव में हारे अपने दोस्त और डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव को फिर से पार्षद बनाने के लिए अपना इस्तीफा दिया है. उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है की हमसे और बेहतर कार्य मोहन श्रीवास्तव करेंगे.

उन्होंने कहा की अल्पसंख्यक समाज के हक में यह निर्णय लेते हुए उन्हें निर्विरोध चुनाव यहां की जनता जिताएगी. वहीं वार्ड पार्षद का चुनाव हार चुके अबरार अहमद के दोस्त मोहन श्रीवास्तव ने उनको बधाई देते हुए कहा की समाज में हिंदू-मुस्लिम के प्रति जो नजरिया है उसे आईना दिखाने का कार्य किया है. आने वाले समय में निर्णय लेंगे की चुनाव लडेंगे या नहीं. (इनपुट - पंकज कुमार)

 

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