नवादा जेल में रविवार को जेल में विचारधीन कैदी रूपेश पासवान को कथित रूप से जलाकर मार डाले जाने के बाद जेलर और तीन अन्य के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी है. पासवान की मां चंदमुनी देवी ने मंगलवार को नवादा टाउन पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई और जेलर लाल बाबू सिंह एवं तीन कैदियों- प्रमोद रजक, गोपी यादव तथा ब्रह्मदेव यादव पर उनके बेटे की हत्या करने का आरोप लगाया.
अपनी प्राथमिकी में चंदमुनी देवी ने आरोप लगाया कि इन चारों ने उसके बेटे को इसलिए मार डाला क्योंकि उनका मानना था कि उसने (रूपेश ने) बेहतर खाना और जेल अधिकारियों के उचित बर्ताव की मांग को लेकर अन्य कैदियों के साथ मिलकर आंदोलन शुरू किया. आंदोलन के तीन दिन जारी जारी रहने पर पासवान को जलाया गया. नवादा पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि इस मामले की जांच के लिए एक टीम शीघ्र ही जेल का दौरा करेगी.
पासवान को नवादा सदर अस्पताल से पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल भेजा गया था जहां उसने सोमवार को दम तोड़ दिया.
पासवान का आरोप था कि जेलर और इन तीन कैदियों ने उसके ऊपर मिट्टी का तेल डाल दिया एवं आग लगा दी. पासवान हथियार कानून के विभिन्न मामलों का सामना करते हुए चार साल से जेल में था. इसी बीच मगध रेंज के उप महानिरीक्षक प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने प्राथमिकी की पुष्टि करते हुए कहा कि चूंकि यह घटना जेल में हुई ऐसे में वाकई क्या हुआ- उसका पता लगाने में कुछ वक्त तो लगेगा.
उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में जेल अधिकारियों ने भी अलग से प्राथमिकी दर्ज की है.
जेल अधिकारियों ने अपनी प्राथमिकी में कुछ कैदियों पर पासवान को आंदोलन के दौरान आत्मदाह के लिए उकसाने का आरोप लगाया.
जेल उपमहानिरीक्षक (प्रशासन) उमाकांत शरण ने कहा कि कैदी मोबाइल जब्त कर लिए जाने के बाद प्रदर्शन कर रहे थे.
उन्होंने कहा, ‘पासवान को आत्मदाह के लिए उकसाने के आरोप में कुछ कैदियों पर मामला दर्ज किया गया है.’ इसी बीच बिहार मानवाधिकार आयोग ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लिया और महानिरीक्षक (जेल एवं सुधार सेवाओं) को 14 अगस्त तक रिपोर्ट देने को कहा.