
बिहार के दरभंगा जिले में बाढ़ और बारिश की वजह से हाल बेहाल है. बागमती नदी का पानी सैकड़ों गावों को जलमग्न कर चुका है. कई गांवों की आधी से ज्यादा आबादी गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हो गई है. हयाघाट प्रखंड में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं. आजतक की टीम बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लेना ग्रामीण इलाकों में पहुंची तो त्रासदी की अलग कहानी दिखी.
हयाघाट प्रखंड के अंतर्गत आने वाला गांव नया टोला भी बाढ़ का कहर झेल रहा है. नाव के जरिए आजतक की टीम नया गांव पहुंची तो पता चला कि यह गांव, बीते 2 सप्ताह से ज्यादा वक्त से पानी में डूबा हुआ है. सड़कें गुम हो गई हैं और दूर-दूर तक सिर्फ पानी नजर आ रहा है. बागमती नदी का कहर झेल रहे इस गांव के लोग बुरी तरह से परेशान हैं.
गांव के लोगों के आने-जाने के लिए सिर्फ नाव ही सहारा है. आजतक की टीम जब टोला गांव जा रही थी, तब नाव पर सवार एक शख्स मोहम्मद मुमताज ने बातचीत में कहा कि बाढ़ की वजह से 50 फीसदी से ज्यादा लोग गांव छोड़कर सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं. गांव में रहने का खतरा वे नहीं मोल ले सकते हैं.
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पलायन को मजबूर हुए लोग
मोहम्मद मुमताज ने कहा, 'इस इलाके में बाढ़ की वजह से हालात बहुत ज्यादा खराब हैं. आधे से भी ज्यादा आबादी गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चली गई है. गांव में ऐसे हालात पिछले 15 दिनों से हैं.'
सरकार ने बस मुहैया कराई नाव
नाव पर ही सवार एक अन्य ग्रामीण मोहम्मद जुल्फिकार ने बताया कि यहां खुशकिस्मती की बात बस इतनी ही है कि राज्य सरकार ने इस बार बाढ़ में फंसे लोगों के आने जाने के लिए नाव की समुचित व्यवस्था की है. इसी बात का संतोष है. हालांकि प्लास्टिक और खाने-पीने का सामान प्रशासन की ओर से नहीं दिया गया है.
स्थानीय महिलाओं का फूटा सरकार पर गुस्सा
नया टोला गांव की महिलाएं बिहार सरकार से बुरी तरह से नाराज हैं. स्थानीय महिलाओं का कहना है कि बाढ़ में फंसे लोगों की मदद के लिए बिहार सरकार पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है. मदद पहुंचाने के लिए भी बिहार सरकार की ओर से कोई नुमाइंदा नहीं आ रहा है.
एक ग्रामीण महिला, रुखसाना खातून ने कहा, 'पिछले 10 दिनों से पानी हमारे गांव में घुस चुका है. हम यहां पर डूब रहे हैं. सरकार की तरफ से हमें प्लास्टिक या खाने-पीने का कुछ भी सामान नहीं दिया गया है.'
3 से 4 महीने तक ऐसे ही रहेंगे हालात
वहीं एक अन्य महिला हसीना बानो ने कहा कि सरकार ने हमारे लिए नाव की व्यवस्था की है, जिसका इस्तेमाल करके हम बाजार जाते हैं और खाने पीने की चीज से लेकर आते हैं. मगर सरकार की तरफ से हमें खाने-पीने के लिए कुछ भी नहीं मिला है.
इसी गांव की एक अन्य महिला रेहाना खातून ने कहा कि बाढ़ का पानी पूरे गांव में भर गया है. अगले 3 से 4 महीने तक ऐसे ही हालात बने रहेंगे. मगर हमें अब तक किसी की मदद नहीं मिली है.