बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की जिम्मेदारी अपने सिर लेकर अपना पद तो छोड़ दिया है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि अब जल्दी ही मध्यावधि चुनाव होंगे. हालांकि सत्तारूढ़ जेडीयू के नेता कह रहे हैं कि नीतीश कुमार के इस्तीफे का पार्टी के विधायकों की संख्या से कोई लोना-देना नहीं है.
सोमवार को पार्टी नेताओं ने नए नेता के नेतृत्व में फिर से सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने का फैसला कर लिया है. विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी और राम विलास पासवान राज्य सरकार के निकट भविष्य में गिरने की संभावना जता रहे हैं. पासवान ने तो अपने कार्यकर्ताओं से कह दिया है कि वे नवंबर-दिसंबर में चुनाव के लिए तैयार रहें. वैसे बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2015 में होने हैं.
दूसरी ओर, एनडीए चाहेगी कि चुनाव जल्द से जल्द हो जाएं क्योंकि लोक सभा चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी एलजेपी व आरएलएसपी ने बिहार में जबर्दस्त प्रदर्शन किया है. जाहिर है पार्टी इस प्रदर्शन को विधानसभा चुनाव में दोहराना चाहेगी. जाहिर है अगर लोकसभा के चुनाव परिणामों को आधार माना जाए तो यह तय है कि एनडीए विधानसभा चुनाव में भी जेडीयू और आरजेडी को धो डालेगी.
लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक एनडीए 243 विधानसभा क्षेत्रों में से 173 आगे रही है. बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. बिहार विधानसभा में बहुमत पाने के लिए सिर्फ 122 सीटें चाहिए. अगर लोकसभा चुनाव के आंकड़ों को आधार बनाया जाए तो उस हिसाब से एनडीए को दो तिहाई बहुमत मिला है. बीजेपी अपने बूते ही 121 विधानसभा सीटों पर आगे रही. राम विलास पासवान की पार्टी एलजेपी ने 35 और आरएलएसपी ने 17 विधान सभा सीटों पर बढ़त बनाई.
बढ़त का गणित
लोकसभा चुनाव में कई क्षेत्र ऐसे भी थे जिनमें बीजेपी ने पूरी बढ़त बनाए रखी. इनमें पटना साहिब, सीवान, गया, औरंगाबाद, गोपालगंज, उजियारपुर, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर और शिवहर हैं. इनके हर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी आगे रही. राम विलास पासवान की पार्टी ने मुंगेर, वैशाली और जमुई लोक सभाक्षेत्र के हर विधानसभा क्षेत्र में बढ़त बनाए रखी. आरएलएसपी ने करकट और सीतामढ़ी में हर विधान सभा क्षेत्र में बढ़त बनाए रखी. लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन ने 50 सीटों पर बढ़त बनाए रखी. आरजेडी को 32 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली. कांग्रेस और एनसीपी को क्रम से 13 और 5 सीटों पर बढ़त मिली. जेडीयू-कम्युनिस्ट पार्टी के गठबंधन की तो हालत ही खराब थी. जेडीयू को महज 18 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी. सीपीआई को सिर्फ एक सीट पर बढ़त मिली थी.