बिहार के आरा का सदर अस्पताल एक बार फिर अपने लचर कारनामें से सुर्खियों में है. इस बार मामला बच्चा बदलने का है. लापरवाही का आलम ये है कि सिर्फ बच्चा ही नहीं बदला गया बल्कि बदले गए बच्चे की मौत भी हो गई. अब अस्पाताल के पास कोई जवाब नहीं है, वो जांच की बात पर टालमटोल कर रहा है.
सदर अस्पताल में उस वक्त अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया जब एसएनसीयू वार्ड से नवजात बच्ची अचानक गायब हो गई. इस घटना से परेशान परिजनों में आक्रोश उबल पड़ा और उन्होंने अस्पताल के डीएस ऑफिस का घेराव कर अपनी बच्ची की बरामदगी की मांग करने लगे. नवजात बच्ची बिहिया थाना क्षेत्र के बेलवनिया गांव निवासी राजकिशोर की बताई जा रही है.
घटना के संबंध में बताया जाता है कि राजकिशोर सिंह की पत्नी पूजा देवी ने बच्ची को ऑपरेशन के दौरान जन्म दिया था. लेकिन जन्म के साथ ही उसकी तबीयत खराब होने लगी तो प्रसूति वार्ड के चिकित्सक ने विशेष नवजात वार्ड में ले जाकर भर्ती कराने की सलाह दी. शनिवार की रात उसे लाकर भर्ती कराया गया. लेकिन रविवार रात जब बच्ची के परिजनों ने जबरन एसएनसीयू में जाकर देखा तो बच्ची गायब थी.
इसके बाद परिजन आक्रोशित हो गए और वह हंगामा करने लगे. इस मामले के बाद जब अस्पताल प्रशासन ने मामले की तहकीकात की तो चौकाने वाला मामला सामने आया. अस्पताल के प्रभारी डीएस डॉ. विकास कुमार ने बताया कि एक ही बेड पर शाहपुर के ओसाई गांव के रहने वाले एक व्यक्ति के मासूम बच्चे को भी लाकर भर्ती कराया गया था. लेकिन वार्ड में तैनात नर्स ने राजकिशोर की बच्ची को ओसाई गांव का समझ कर बच्चा उसे दे दिया.
इसके बाद उसका परिवार बच्चा लेकर चला गया और रास्ते में ही बच्ची की मौत हो गई. हालांकि, जो व्यक्ति उस मासूम को ले गया था, उसने दाह संस्कार करने के बाद दोबारा सदर अस्पताल पहुंचा और अपने बच्चे को लेकर चलता बना. हैरानी की बात है कि इस दौरान उसे अस्पताल के किसी कर्मचारी ने नहीं रोका.
वहीं, परिजनों का कहना है कि आखिर मेरा बच्चा कहां गया. उस मासूम बच्ची का दाह संस्कार हुआ तो फिर उसी व्यक्ति को कैसे दूसरा बच्चा दिया गया. फिलहाल सदर अस्पताल के डीएस डॉ. विकास कुमार ने लापरवाही बरतने वाले कर्मचारी पर कार्रवाई करने की बात कह कर मामले को टाल-मटोल करते नजह आए.