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पटना में बिजली विभाग ने कबाड़ से तैयार किया कैंटीन

पुराने ड्रम्स को काटकर कुर्सियां और टेबल बनाई गईं. बेकार पड़े कनेक्शन ट्रांसफार्मर भी कुर्सियों में तब्दील कर दिये गए. बिजली ऑफिस के कंट्रोल पैनल और नट-बोल्ट को बदलकर टेबल का रूप दे दिया गया.

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कबाड़ से बना कैंटीन
कबाड़ से बना कैंटीन

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पटना में बिहार राज्य विद्युत बोर्ड के कर्मचारी लंबे वक्त से कैंटीन के लिए तरस रहे थे. छह महीने पहले बोर्ड के चेयरमैन प्रत्यय अमृत ने छह महीने पहले इस मांग को पूरा करने का फैसला किया. लेकिन कैंटीन का जो आइडिया जो उनके दिमाग में आया, वो कोई आम नहीं था.

इन चीजों से बना कैंटीन
अमृत ने महकमे के कैंटीन के लिए महकमे के कबाड़खाने में सालों से पड़ी चीजों के इस्तेमाल का फैसला किया. लिहाजा पुराने ड्रम्स को काटकर कुर्सियां और टेबल बनाई गईं. बेकार पड़े कनेक्शन ट्रांसफार्मर भी कुर्सियों में तब्दील कर दिये गए. बिजली ऑफिस के कंट्रोल पैनल और नट-बोल्ट को बदलकर टेबल का रूप दे दिया गया. यहां तक कि सालों पहले करबिगहिया थर्मल पावर स्टेशन में इस्तेमाल की जाने वाली चाय की केतली को भी कैंटीन को सजाने के लिए इस्तेमाल किया गया है. केबल रोल की लकड़ियों को जोड़कर मेनू बोर्ड और दीवार घड़ी बनाई गई है.

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पटना के डिजाइनर्स का कमाल
एनर्जी कैफे नाम के इस कैंटीन को सजाने की जिम्मेदारी पटना की डिजाइनर जोड़ी मनजीत और नेहा को दी गई थी. उन्हें कैंटीन को तैयार करने में महज छह महीने का वक्त लगा. दिलचस्प बात यह है की इस कैंटीन में एक पुरानी एंबेसेडर कार को भी काट कर रखा गया है. इस कार का इस्तेमाल साल 2001 तक प्रत्यय अमृत खुद किया करते थे. कैंटीन का उद्घाटन पिछले हफ्ते किया गया है. बहुत जल्द इसे बोर्ड के कर्मचारियों के लिए खोला जाएगा.

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