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नीतीश और RCP सिंह के 24 साल पुराने रिश्ते में कब आया टर्निंग प्वाइंट? आरसीपी का पत्ता कटने की ये हैं 5 वजहें

केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को जनता दल यूनाइटेड राज्यसभा नहीं भेजेगी. उनकी जगह पर झारखंड जेडीयू अध्यक्ष और पूर्व विधायक खीरू महतो पार्टी की ओर राज्यसभा भेजे जाएंगे. इस संबंध में जेडीयू की ओर से आधिकारिक घोषणा कर दी गई है.

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नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह. -फाइल फोटो
नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह. -फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 10 जून को होना है राज्यसभा का चुनाव
  • बिहार की 5 सीटें हो रही हैं खाली

आखिर किस बात का अंदेशा था, वही हुआ. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने 24 साल पुराने सहयोगी, केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह को तीसरी बार राज्यसभा भेजने के लिए तैयार नहीं हुए और उनका टिकट काटकर जनता दल यूनाइटेड के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो को उम्मीदवार बनाया.

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बिहार के राजनीतिक गलियारे में इस बात को लेकर जबरदस्त चर्चा हो रही है कि आखिर आरसीपी सिंह जो पिछले तकरीबन ढाई दशक से नीतीश कुमार के सबसे करीबी सहयोगी और राजदार हुआ करते थे, अब उनकी आंखों में क्यों खटक गए?

वजह नंबर 1- आरसीपी सिंह का केंद्र सरकार में मंत्री बनना

नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के रिश्तो में टर्निंग प्वाइंट पहली बार 2021 में आया जब केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हुआ और आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बन गए.

हुआ यूं कि नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार के दौरान नीतीश कुमार चाहते थे कि जनता दल यूनाइटेड को दो कैबिनेट और दो राज्य मंत्री का पद दिया जाए और बीजेपी से बात करने के लिए उन्होंने आरसीपी सिंह को आगे किया.

आरसीपी सिंह ने जब बीजेपी के साथ बातचीत आगे बढ़ाई तो ऐसी सेटिंग की कि वह केवल एक कैबिनेट मंत्री के पद पर मान गए और खुद केंद्र में इस्पात मंत्री बन गए.

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यह बात नीतीश कुमार को अच्छी नहीं लगी क्योंकि वह चाहते थे कि केंद्र में उन्हें कम से कम 2 कैबिनेट मंत्री का पद दिया जाए ताकि वह आरसीपी सिंह के साथ-साथ मुंगेर सांसद और उनके एक और करीबी ललन सिंह को भी केंद्रीय मंत्री बना सकें.

वजह नंबर 2- आरसीपी सिंह का दावा, नीतीश कुमार के सहमति से बना केंद्र में मंत्री

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह बात भी काफी खटकी जब केंद्रीय मंत्री बनने के बाद आरसीपी सिंह ने लगातार इस बात का प्रचार किया कि उन्होंने नीतीश कुमार की सहमति मिलने के बाद ही केंद्रीय मंत्री पद स्वीकार किया है. 

बताया जाता है कि नीतीश कुमार इस बात को लेकर काफी नाराज थे कि आरसीपी सिंह ऐसा माहौल बना रहे थे कि नीतीश कुमार की सहमति से ही वह केंद्रीय मंत्री बने हैं.

वजह नंबर 3- यूपी चुनाव में आरसीपी नहीं करवा पाए बीजेपी के साथ गठबंधन

नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के रिश्ते उस वक्त और ज्यादा खराब हो गए जब इसी साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान आरसीपी सिंह जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी का गठबंधन कराने में असफल रहे.

जनता दल यूनाइटेड के शीर्ष नेताओं ने कई बार कहा कि वह चाहते थे कि यूपी चुनाव में जनता दल यूनाइटेड बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़े और बीजेपी के साथ बात करने के लिए एक बार फिर से नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को अधिकृत किया, मगर आखिरकार बीजेपी ने जनता दल यूनाइटेड को भाव नहीं दिया और पार्टी को अकेले ही 51 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करना पड़ा.

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नतीजा यह हुआ कि जनता दल यूनाइटेड सभी सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा.

वजह नंबर 4- आरसीपी सिंह का बीजेपी गुणगान

यह बात जगजाहिर है कि 2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के जरिए जनता दल यूनाइटेड को बुरी तरीके से डैमेज किया. 

नीतीश कुमार बीजेपी को लेकर नाराज थे मगर इसके बावजूद भी वह बीजेपी के साथ गठबंधन को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री बने मगर इस दौरान आरसीपी सिंह लगातार बीजेपी का गुणगान करते हुए नजर आते रहे.

केंद्र में मंत्री बनने के बाद भी कई मौकों पर आरसीपी सिंह ने बीजेपी सरकार का गुणगान किया और केंद्र सरकार की योजनाओं का गुणगान करते नजर आए जो नीतीश कुमार को बर्दाश्त नहीं हुआ.

वजह नंबर 5- आरसीपी से जेडीयू में बीजेपी के आदमी

आरसीपी सिंह का बीजेपी के साथ जो रिश्ता था उसकी वजह से बिहार की राजनीति में हमेशा यह कहा जाता था कि वह भले ही जनता दल यूनाइटेड नेता है मगर वह बीजेपी के आदमी हैं. 

पिछले कुछ दिनों से जब इस बात की चर्चा तेज हुई कि इस बार नीतीश कुमार उन्हें राज्यसभा नहीं भेजेंगे तो इस बात की भी तेज अटकलें लगाई जा रही थी कि अगर जेडीयू उनका पत्ता काटती है तो बीजेपी उन्हें राज्यसभा भेज देगी. 

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बीजेपी के लिए आरसीपी का सॉफ्ट कॉर्नर भी उन पर भारी पड़ा.

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