बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने दलित कार्ड खेला है. नीतीश कैबिनेट ने 15 लाख रुपये तक के सरकारी ठेकों में अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी-एसटी) वर्ग के लिए 50 फीसदी आरक्षण को मंजूरी दे दी है.
इससे पहले सरकारी ठेकों में रिजर्वेशन का कोई प्रावधान नहीं था. जब जीतनराम मांझी मुख्यमंत्री बने थे, उन्होंने 1 करोड़ रुपये तक के ठेकों में एससी-एसटी के लिए रिजर्वेशन के प्रस्ताव को हरी झंडी दी थी. लेकिन फिर मांझी बागी हो गए; एक नाटकीय सियासी घटनाक्रम के बाद नीतीश ने दोबारा कुर्सी संभाली और इस फैसले को रद्द कर दिया.
मंगलवार को नीतीश कैबिनेट ने चुनाव से पहले दलितों को लुभाने के लिए वैसी ही व्यवस्था छोटे ठेकों के लिए की है. उन्होंने 15 लाख रुपये तक के ठेकों में एससी-एसटी वर्ग के लिए 50 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को हरी झंडी दी है.