बिहार में लोकसभा के उपचुनाव ने नीतीश कुमार के मुंह पर जैसे ताला जड़ दिया है. नरेंद्र मोदी को लेकर अब वो कुछ बोलना ही नहीं चाहते हैं. डर है कि कहीं बीजेपी बिदक ना जाए.
नीतीश बाबू को अचानक कुछ हो गया है. ना वो देख पा रहे हैं, ना सुन पा रहे हैं और ना पढ़ पा रहे हैं. दिल्ली की रैली में नरेंद्र मोदी पर गरजनेवाले बिहार के मुख्यमंत्री अब मोदी के नाम पर होठ सिले बैठे हैं. मुद्दा मोदी का नीतीश पर हमले का है. नीतीश कहते हैं कि ना उन्होंने सुना, ना पढ़ा और जब न आंख ने काम किया, न कान ने काम किया तो जुबान कैसे काम करती. खामोश रहे.
वैसे नीतीश बाबू को आजकल वो पोस्टर भी नहीं दिख रहे हैं जिनपर उनके साथ नरेंद्र मोदी की तस्वीरें छपी थीं. बिहार के मुख्यमंत्री मोदी के साथ इस तस्वीरी मित्रता पर मोहित तो नहीं हैं, लेकिन क्रोधित भी नहीं हैं. अब एक नया पोस्टर लगा है जिसमें एक तरफ हैं मोदी तो दूसरी ओर हैं गुजरात वाले ही नरेंद्र मोदी.
अब सवाल ये है कि मोदी के नाम से ही बिदकने वाले नीतीश बाबू को अब क्या हो गया है. डाक्टरी भाषा में इस बीमारी को सियासत कहते हैं. महाराजगंज में 2 जून को लोकसभा के उपचुनाव हैं. जेडीयू के उम्मीदवार की वहां परीक्षा है. ऐसे में नीतीश मोदी से बिदककर बीजेपी से बैर नहीं लेना चाहते. क्योंकि सीट है तो सियासत है.