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कंसल्टेंट के सहारे चल रही है नीतीश सरकार

जो गवर्नेंस नीतीश कुमार की पहचान थी, उसी गवर्नेंस पर अब उंगली उठने लगी है, ये उंगली किसी खराब गवर्नेंस के लिए नहीं बल्कि सरकार चलाने के तौर तरीकों पर उठाई जा रही है. नीतीश सरकार पर ये आरोप लगने लगा है कि नीतीश की सरकार अपने कैबिनेट के सहारे नहीं बल्कि अब कंसल्टेंट के भरोसे चल रही है.

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नीतीश कुमार
नीतीश कुमार

जो गवर्नेंस नीतीश कुमार की पहचान थी, उसी गवर्नेंस पर अब उंगली उठने लगी है, ये उंगली किसी खराब गवर्नेंस के लिए नहीं बल्कि सरकार चलाने के तौर तरीकों पर उठाई जा रही है. नीतीश सरकार पर ये आरोप लगने लगा है कि नीतीश की सरकार अपने कैबिनेट के सहारे नहीं बल्कि अब कंसल्टेंट के भरोसे चल रही है और ये कंसल्टेंट ही नीतीश कुमार के सुपर मिनिस्टर और सुपर कैबिनेट भी बन गए हैं. ये सुपर मिनिस्टर और सुपर कैबिनेट नीतीश कुमार के उन सलाहकारों के लिए कहा जा रहा है जो नीतीश कुमार को नीतिगत मामलों में सलाह देते हैं.

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हाल में केन्द्रीय गृह सचिव के पद से रिटायर होकर बिहार लौटे, आर.के.सिंह, नीतीश के नए सलाहकार होंगे सरकार ने इसका ऐलान कर दिया है लेकिन इसी ऐलान के साथ ही नीतीश सरकार पर भी सवालों की बौछार शुरू हो गई है कि पहले से ही तीन सलाहकारों के बाद क्या सरकार सलाहकारों की फौज खड़ा करना चाहती है? क्या नीतीश कुमार मंत्रियों के बजाए कंसल्टेंट के भरोसे ही सरकार चलाना चाहते हैं? सत्ता से अलग होने के बाद बीजेपी ने नीतीश सरकार को इस मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया है.

बीजेपी का आरोप है पार्टी मे विद्रोह को दबाने के लिए नीतीश सरकार कैबिनेट विस्तार से बच रही है और 18 मंत्रियों की जगह वो सलाहकारों के भरोंसे ही सत्ता चलाना चाहती है. पटना में सुशील मोदी ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि - नीतीश कुमार का स्वभाव रहा है कि वो नौकरशाहों पर ज्यादा विश्वास करते हैं और वो अब मंत्रिमंड़ल विस्तार कर नहीं सकते,जिस दिन मंत्रिमंड़ल का विस्तार करेंगे उनके दल में भारी विस्फोट हो जाऐगा विद्रोह की स्थिति पैदा हो जाएगी इसलिए वो सलाहकार को मंत्रियों के विकल्प के रूप में नियुक्त कर इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन नौकरशाह कभी भी राजनेताओ का विकल्प नहीं हो सकते, जिन्हे बहाल किया गया वो योग्य लोग हैं, पर नौकरशाहों से देश चलता तो चुनावों की आवश्यकता नहीं थी.

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इस समय नीतीश कुमार के तीन सलाहकर है जिसमें पवन वर्मा सांस्कृतिक मामलों के सलाहकार हैं तो मंगला राय कृषि मामलों पर नीतीश कुमार के सलाहकार है, पी.के.राय बिजली मामलो के सलाहकार जबकि आर.के.सिह चौथे सलाहकार होंगे जो इंफ्रास्ट्रक्चर मामलों पर सलाह देंगे. दरअसल बीजेपी के अलग होने के बाद से मुख्यमंत्री के पास 18 और विभाग आ गए है और ज्यादातर विभागों में इन सलाहकारों के बदौलत ही सरकार चल रही है लेकिन नीतीश के मंत्री विपक्ष के इस आरोप को सिरे से नकार रहे हैं.

नीतीश के करीबी और खाद्य और उपभोक्ता मंत्री श्याम रजक इसे बीजेपी का बौखलाहट करार देते है. श्याम रजक के मुताबिक मुख्यमंत्री के सलाहकार का पद कोई नया नहीं है और बीजेपी के साथ के वक्त भी सलाहकार थे, हम तो रिटायर्ड नौकरशाहों की योग्यता का लाभ उठाना चाहते है इसलिए सलाहकार है, ऐसा नहीं है कि कोई मंत्री किसी नौकरशाह के नीचे आ गया बल्कि हम उनकी अनुभव और योग्यता का इस्तेमाल राज्य हित में कर रहे है. रही बात बीजेपी की तो जिन्हें धकियाकर हमने बाहर कर दिया है वो अनर्गल बोलेंगे ही.

हालाँकि नीतीश कुमार इन आरोपों को खारिज कर चुके हैं पर उनके मंत्रियों में इसे लेकर भारी नाराजगी है लेकिन नीतीश कुमार के खिलाफ बोलने की हिम्मत किसी में नहीं. नीतीश कुमार के पास 18 विभाग है जिसमें से सड़क,स्वास्थ्य पर्यटन और कला संस्कृति जैसे विभाग महतवपूर्ण होते हुए भी बिना मंत्रियों के दो महीने से चल रहे हैं. ऐसे में काम से लेकर फाइलों को निपटनाने की तेजी पर सलाहकारों की छाप साफ दिखाई दे रही है.

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