बिहार के बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन भले ही जेल में हों लेकिन उनकी रिहाई को लेकर समय-समय पर सियासी गलियारे में चर्चा तेज हो जाती है. आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया हत्याकांड में आनंद मोहन को कोर्ट ने सजा सुनाई थी, इसके बाद से वह जेल के अंदर बंद हैं.
पिछले कुछ मौकों पर आनंद मोहन पेरोल पर बाहर आते रहे हैं, पहले अपनी बेटी की सगाई और शादी और अब बेटे की सगाई के मौके पर भी आनंद मोहन जेल से पेरोल पर बाहर हैं.
बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद आनंद मोहन के समर्थकों के बीच इस बात की उम्मीद बढ़ी है कि पूर्व सांसद जेल से रिहा हो सकते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने कई दफे आनंद मोहन के समर्थकों ने खुले तौर पर रिहाई की मांग भी रखी है.
आनंद मोहन की रिहाई को लेकर नीतीश उनके समर्थकों को दिलासा देते रहे हैं लेकिन अब राज्य सरकार ने कारा नियमों में जो नया बदलाव किया है उसके बाद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर नए सिरे से चर्चा तेज हो गई है.
राज्य सरकार ने कारा नियमों में किया बदलाव
दरअसल राज्य सरकार ने पहले से चले आ रहे कारा अधिनियम में बदलाव किया है. बिहार कारा हस्तक, 2012 के नियम-481(i) (क) में संशोधन किया गया है. इस संशोधन के जरिए उस वाक्यांश को हटा दिया गया है, जिसमें सरकारी सेवक की हत्या को शामिल किया गया था.
अधिनियम में इस संशोधन के बाद अब ड्यूटी पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या अपवाद की श्रेणी में नहीं आएगी, बल्कि इसे भी एक साधारण हत्या मानी जाएगी. अधिनियम में इस संशोधन के बाद अब सियासी गलियारे में आनंद मोहन की रिहाई की अटकलें तेज हो गई हैं.
उम्मीद जताई जा रही है की नियमों में बदलाव के बाद आनंद मोहन की रिहाई की प्रक्रिया आसान हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि सरकारी सेवक की हत्या के मामले में ही आनंद मोहन को सजा हुई थी. अधिनियम में बदलाव कर अब इसे ही हटा दिया गया है. गृह विभाग ने बीते 10 अप्रैल को ही इससे जुड़ी अधिसूचना भी जारी कर दी थी.
क्या है पूरा मामला
आनंद मोहन की गिनती बिहार के बाहुबलियों में होती रही है. पूर्व सांसद आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में सजायाफ्ता हैं. आनंद मोहन इस मामले में 14 साल की सजा काट चुके हैं, लेकिन पहले से तय नियमों के कारण उनकी रिहाई नहीं हो पा रही.
सरकार ने अब जो संशोधन किया है उसके बाद उस श्रेणी को ही खत्म कर दिया गया है जिसकी वजह से कारण आनंद मोहन की रिहाई नहीं हो पा रही थी. इस नए बदलाव के पहले भी राज्य सरकार ने बिहार की रिमिशन यानी परिहार नीति के दो बड़े बदलाव किए गए थे. कारा अधिनियम में बदलाव के बाद आनंद मोहन की रिहाई पर चर्चा फिर से तेज है लेकिन बड़ा सवाल यह है की क्या वाकई आनंद मोहन जेल से बाहर आ पाएंगे?