जेडीयू के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी सरकार पर एक बार फिर भड़क गए हैं. इस बार उनका गुस्सा किसानों को फसल का डेढ़ गुना दाम दिलाने का किया गया वादा पूरा नहीं करने पर है. उनका कहना है कि वादा पूरा करने के बजाय राज्यों को बोनस नहीं देने की धमकी दी जा रही है.
अपनी ‘संपर्क यात्रा’ के दौरान बांका में जेडीयू कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मोदी द्वारा लोकसभा चुनाव के समय किसानों को उनकी फसल के लिए मिलने वाले न्यनूतम समर्थन मूल्य का डेढ़ गुना दाम दिए जाने के वादे वाले ऑडियो टेप को सुनाते हुए अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से यह पूछने पर कि उस वादे का क्या हुआ? उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में वर्तमान में न्यूनतम समर्थन मूल्य में मात्र 3.5 फीसदी की वृद्धि की गई है.
नीतीश ने केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री द्वारा राज्यों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के अतिरिक्त बोनस की घोषणा पर उन्हें गत जून महीने में चेतावनी भरे लिखे गये पत्र को पढ़ते हुए कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य के अतिरिक्त बोनस की घोषणा का बाजार पर ऋणात्मक प्रभाव पड़ा है और व्यापारियों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है.
नीतीश ने केंद्र के उस पत्र को उद्धरित करते हुए कहा कि केंद्र ने धमकी दी है कि अगर राज्यों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य के अतिरिक्त बोनस दिया गया तो वह वर्ष 2014-15 के रबी और खरीफ मौसम के दौरान भारतीय खाद्य निगम के जरिए अनाज उठाव को सीमित कर देगा. नीतीश ने कहा कि पत्र में कहा गया है कि बोनस देने की स्थिति में अधिक अनाज के उठाव की स्थिति में उसके निपटारे की जिम्मेदारी उठाये जो बीजेपी नीत राजग सरकार के ‘किसान विरोधी’ होने को दर्शाता है.
गत 13 नवंबर से ‘संपर्क यात्रा’ पर निकले नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री के वादे के बावजूद बीजेपी सरकार कालाधन को वापस लाने, न्यूनतम समर्थन मूल्य और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दे रही है. उधर, केंद्रीय खाद्य एवं जनवितरण मंत्री रामविलास पासवान ने नीतीश के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि उन्हें केंद्र की नई खाद्यान्न उठाव नीति के बारे में गलत बताया गया है अथवा वह जानबूझकर अपनी गलतियों को छुपाने के लिए मिथ्या फैला रहे है. राज्यों को बोनस दिए जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.
पासवान ने कहा कि बिहार खाद्यान्न उपलब्धता के मामले में अधिशेष राज्य नहीं है. बिहार को प्रतिवर्ष 49 लाख टन अनाज की आवश्यकता होती है, लेकिन वह मात्र दस लाख टन ही अनाज खरीद पाता है और बाकी अनाज पंजाब और हरियाणा से वहां भेजा जाता है.
उन्होंने कहा कि अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बोनस की घोषणा करके अनाज खरीद बढ़ाता है तो यह हमारे लिए खुशी की बात होगी.
इनपुट :भाषा