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शराबबंदी से सबसे ज्यादा फायदा पिछड़े और दलित समुदाय कोः नीतीश

मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  शराब  सेवन  के  चलते  पहले  समाज  में  क्या  हालत  थी?  अपनी गाढ़ी  कमाई  का  बहुत  बड़ा  हिस्सा  शराब  में लोग  बर्बाद  कर  देते  थे.  घर  का  माहौल  तनावपूर्ण रहता  था.  महिलाओं  और  बच्चों  की  स्थिति  घर  में  काफी  खराब  रहती  थी.

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बिहार में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के साथ सुशील मोदी
बिहार में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के साथ सुशील मोदी

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बिहार में शराबबंदी के 2 साल पूरे होने के अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि विपक्ष की ओर से दुष्प्रचार किया जा रहा है. शराबबंदी से सबसे ज्यादा फायदा समाज में पिछड़े और दलित वर्ग को हुआ है.

मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  शराब  सेवन  के  चलते  पहले  समाज  में  क्या  हालत  थी?  अपनी गाढ़ी  कमाई  का  बहुत  बड़ा  हिस्सा  शराब  में लोग  बर्बाद  कर  देते  थे.  घर  का  माहौल  तनावपूर्ण रहता  था.  महिलाओं  और  बच्चों  की  स्थिति  घर  में  काफी  खराब  रहती  थी.  हमने महिलाओं  की  मांग  पर  ही  हमने  शराबबंदी  का  निर्णय  किया. शराबबंदी  के  बाद  भी  कुछ धंधेबाज  इस  काम  में  लिप्त  हैं.  अब  महिलाओं  से  आग्रह  है  कि  वे  सतर्क  रहें  और  शराब  पीने वालों  को  समझाएं  ताकि  शराब  से  होने  वाले  नुकसान  की  नौबत  नहीं  आए.

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मुख्यमंत्री  ने  कहा कि  शराब  का  अवैध  कारोबार  करने  वालां  एवं  इसका  सेवन  करने  वालों  के  खिलाफ  सख्त कानून  बनाया  गया  है  और  उन पर  कार्रवाई  हो  रही  है,  लेकिन  इसको  पूर्ण  रूप  से  सफल  बनाने के  लिए  सामाजिक  अभियान  लगातार  जारी  रखना  होगा,  हर  आदमी  को  सचेत  रहना  होगा और  सजग  रहना  होगा.

उन्होंने कहा कि  पिछले  वर्ष  शराबबंदी  के  पक्ष  में  21  जनवरी  2016  को  मानव  श्रृंखला बनी  थी  जिसमें  राज्य  की  आबादी  का  लगभग  एक  तिहाई  हिस्सा  यानि  करीब  चार  करोड़  लोग शामिल  हुए  थे.  इसमें  हर  आयु  वर्ग  के  लोग  शामिल  हुए  थे.  इसने  दुनिया  में  एक  इतिहास कायम  किया.  मानव  श्रृंखला  में  सभी  जाति,  सभी  धर्म  एवं  सभी  राजनीतिक  दल  के  लोगों  ने एक  दूसरे  का  हाथ  पकड़कर  शराबबंदी  के  पक्ष  में  अपना  संकल्प  व्यक्त  किया  था  लेकिन  आज कुछ  लोग  अनैतिक  राजनीति  कर  रहे  हैं.  

मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी  के पक्ष  में  पूर्ण  जनमत  है.  चंद  पढ़े  लिखे  लोग  अमीर  उमरां  लोग  शराब  पीने  को  अपनी  आजादी से  जोड़कर  देखते  हैं.  माननीय  सुप्रीम  कोर्ट  का  भी  फैसला  है  कि  शराब  पीना  मौलिक अधिकार  नहीं  है.  राज्य  सरकार  शराबबंदी  से  नशामुक्ति  की  तरफ  बढ़ रही  है.

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उन्होंने  कहा  कि  एक  अप्रैल  2016  से  31  मार्च  2018  तक  6  लाख  83  हजार  370 छापेमारी  की  गई.  1  लाख  5  हजार  954  अभियोजन  दर्ज  किए  गए  और  1  लाख  27  हजार 489  लोगों  की  गिरफ्तारी  की  गई.  इस  दौरान  11  लाख  70  हजार  800 लीटर  देशी  शराब,  17  लाख  13  हजार  780  लीटर  विदेशी  शराब,  2  लाख  93  हजार  819 लीटर  चुलाई  शराब  एवं  1  लाख  29  हजार  901  लीटर  अवैध  सुशब  जब्त  की  गई  और अभियान  चलाकर  बड़ी  मात्रा  में  देशी  और  विदेशी  शराब  को  नष्ट  भी  किया  गया.

शराबबंदी पर विपक्ष को लताड़ते हुए उन्होंने कहा कि जिस  तरह कुछ  लोगों  ने  यह  हौवा  खड़ा  करने  की  कोशिश  की  है  कि  एक  लाख  लोग  जेलों  में  बंद  हैं जबकि  सच्चाई  यह  है  कि  शराबबंदी  के  क्रम  में  जेल  में  रह  रहे  लोगों  की  सूचना  प्राप्त  की गई  तो  पता  चला  कि  12 मार्च 2018  तक  केवल  8123  लोग  जेलों  में  बंद  हैं.

उन्होंने कहा  कि  801  लोग  बिहार  के  बाहर  के  हैं  जो  गिरफ्तार  किए  गए  हैं.  सभी  वर्ग  के  लोग  जो इस  अवैध  कार्य  से  जुड़े  रहे  हैं  वही  जेल  में  हैं.

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