बिहार में शराबबंदी के 2 साल पूरे होने के अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि विपक्ष की ओर से दुष्प्रचार किया जा रहा है. शराबबंदी से सबसे ज्यादा फायदा समाज में पिछड़े और दलित वर्ग को हुआ है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब सेवन के चलते पहले समाज में क्या हालत थी? अपनी गाढ़ी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा शराब में लोग बर्बाद कर देते थे. घर का माहौल तनावपूर्ण रहता था. महिलाओं और बच्चों की स्थिति घर में काफी खराब रहती थी. हमने महिलाओं की मांग पर ही हमने शराबबंदी का निर्णय किया. शराबबंदी के बाद भी कुछ धंधेबाज इस काम में लिप्त हैं. अब महिलाओं से आग्रह है कि वे सतर्क रहें और शराब पीने वालों को समझाएं ताकि शराब से होने वाले नुकसान की नौबत नहीं आए.
RJD की बैठक में तेजस्वी ने पढ़ी जेल से लिखी लालू की चिट्ठी, कहा- पार्टी एकजुट
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब का अवैध कारोबार करने वालां एवं इसका सेवन करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाया गया है और उन पर कार्रवाई हो रही है, लेकिन इसको पूर्ण रूप से सफल बनाने के लिए सामाजिक अभियान लगातार जारी रखना होगा, हर आदमी को सचेत रहना होगा और सजग रहना होगा.
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष शराबबंदी के पक्ष में 21 जनवरी 2016 को मानव श्रृंखला बनी थी जिसमें राज्य की आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा यानि करीब चार करोड़ लोग शामिल हुए थे. इसमें हर आयु वर्ग के लोग शामिल हुए थे. इसने दुनिया में एक इतिहास कायम किया. मानव श्रृंखला में सभी जाति, सभी धर्म एवं सभी राजनीतिक दल के लोगों ने एक दूसरे का हाथ पकड़कर शराबबंदी के पक्ष में अपना संकल्प व्यक्त किया था लेकिन आज कुछ लोग अनैतिक राजनीति कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी के पक्ष में पूर्ण जनमत है. चंद पढ़े लिखे लोग अमीर उमरां लोग शराब पीने को अपनी आजादी से जोड़कर देखते हैं. माननीय सुप्रीम कोर्ट का भी फैसला है कि शराब पीना मौलिक अधिकार नहीं है. राज्य सरकार शराबबंदी से नशामुक्ति की तरफ बढ़ रही है.
उन्होंने कहा कि एक अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2018 तक 6 लाख 83 हजार 370 छापेमारी की गई. 1 लाख 5 हजार 954 अभियोजन दर्ज किए गए और 1 लाख 27 हजार 489 लोगों की गिरफ्तारी की गई. इस दौरान 11 लाख 70 हजार 800 लीटर देशी शराब, 17 लाख 13 हजार 780 लीटर विदेशी शराब, 2 लाख 93 हजार 819 लीटर चुलाई शराब एवं 1 लाख 29 हजार 901 लीटर अवैध सुशब जब्त की गई और अभियान चलाकर बड़ी मात्रा में देशी और विदेशी शराब को नष्ट भी किया गया.
शराबबंदी पर विपक्ष को लताड़ते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह कुछ लोगों ने यह हौवा खड़ा करने की कोशिश की है कि एक लाख लोग जेलों में बंद हैं जबकि सच्चाई यह है कि शराबबंदी के क्रम में जेल में रह रहे लोगों की सूचना प्राप्त की गई तो पता चला कि 12 मार्च 2018 तक केवल 8123 लोग जेलों में बंद हैं.
उन्होंने कहा कि 801 लोग बिहार के बाहर के हैं जो गिरफ्तार किए गए हैं. सभी वर्ग के लोग जो इस अवैध कार्य से जुड़े रहे हैं वही जेल में हैं.