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नीतीश ने लालू से मांगा समर्थन, कहा- बीजेपी को हराना जरूरी, इसलिए आएं साथ

नीतीश कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि उन्होंने लालू यादव से फोन पर बात कर राज्यसभा चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए समर्थन मांगा है.

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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. यह कहावत बिहार की सियासत में बिल्कुल फिट बैठती है. तभी तो एक-दूसरे के धुर विरोधी माने जाने वाले नीतीश कुमार और लालू यादव बीजेपी को मात देने के लिए करीब आ रहे हैं.

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इस दोस्ती की सुगबुगाहट लोकसभा नतीजों के ऐलान के बाद ही देखने को मिली, जब नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू संकट में फंसती दिखी. हालांकि नीतीश कुमार ने सियासी दांव-पेच के जरिए सरकार तो बचा ली, किंतु उन्होंने मुख्यमंत्री पद त्यागना ज्यादा मुनासिब समझा व जीतन राम मांझी को बिहार का नया मुखिया बनवा दिया.

लेकिन नीतीश कुमार अब राज्यसभा चुनाव को लेकर मुश्किल में फंसते नजर आ रहे हैं. इस संकट की वजह है जेडीयू में बगावत. जेडीयू के कुछ बागी विधायकों ने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. इस मद्देनजर 19 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव में बागियों ने दो सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतार दिए हैं. अब नीतीश कुमार को ये डर सता रहा है कि अगर बागियों को बीजेपी का समर्थन मिल गया और पार्टी ने कुछ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी, तो नतीजे उनकी फजीहत करा सकते हैं. ऐसे में उन्हें लालू यादव में उम्मीद की किरण दिख रही है.

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नीतीश कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि उन्होंने लालू यादव से फोन पर बात कर अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए समर्थन मांगा है.

बीजेपी पर हमला बोलते हुए नीतीश कुमार ने कहा, 'हमें बीजेपी के गेमप्‍लान को ध्‍वस्‍त करने के लिए साथ आना होगा. आज की राजनीति में बीजेपी जो कर रही है वो दुखद है. बीजेपी जीत पर इतरा रही है और विपक्ष का उपहास कर रही है. हम 2010 में अपनी भारी जीत पर कभी नहीं इतराए न ही उपहास किया. राज्‍यसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से साजिश हो रही है. सभी जानते है कि पूरा खेल बीजेपी नेता के इशारे पर हो रही है. बीजेपी मांझी सरकार अस्‍थिर करने की कोशिश कर रही है. वह किसी भी तरह से इस सरकार को गिराना चाहती है.'

लालू से समर्थन का जिक्र करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि बीजेपी की साजिश को रोकना एक साझा एजेंडा है इसलिए दोनों पार्टी का साथ आना जरूरी है. नीतीश ने लालू से अपील की है कि जैसे आरजेडी ने मांझी सरकार को समर्थन दिया वह राज्‍यसभा चुनाव में भी जारी रहे.

अब सभी की निगाहें आरजेडी पर है जिसके पास 21 एमएलए हैं और पार्टी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. चुनाव में जो गणित है उसके हिसाब से आरजेडी के समर्थन के बिना जेडी (यू) के लिए सीटें जीतना मुश्किल होगा. हालां‍कि लालू जीतन राम मांझी सरकार को सपोर्ट दे रहे हैं लेकिन अभी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं.

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राज्य सभा के तीन सदस्यों राजीव प्रताप सिंह रूडी, रामविलास पासवान और रामकृपाल यादव के इस्तीफा देने से ये सीटें खाली हुई हैं. जेडी (यू) के प्रमुख शरद यादव बिहार से राज्य सभा के लिए चुने जा चुके हैं. जेडीयू के बागी विधायकों ने शरद यादव के खिलाफ तो कोई उम्मीदवार तो नहीं खड़ा किया लेकिन उन्होंने बीजेपी के एमएलसी दिलीप जायसवाल और अनिल शर्मा को जेडी (यू) के उम्मीदवार पवन वर्मा के खिलाफ खड़ा कर रखा है. दूसरी ओर उन्होंने गुलाम रसूल के खिलाफ शाबिर अली को मदद देने की मंशा जताई है. वैसे जायसवाल ने मैदान छोड़ दिया है लेकिन अनिल शर्मा अभी खड़े हैं. यहां दो सीटों के लिए सीधा मुकाबला है.

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