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नीतीश को अब संघ से परहेज नहीं? भागवत का किया बचाव

पटना में मीडिया से बात करते हुए नीतीश ने कहा कि अगर कोई संगठन सीमा की रक्षा के लिए तत्पर है, तो मैं नहीं समझता हूं कि इस मुद्दे पर विवाद होना चाहिए.

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नीतीश ने किया भागवत के बयान का समर्थन
नीतीश ने किया भागवत के बयान का समर्थन

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संघ प्रमुख मोहन भागवत के द्वारा सेना को लेकर दिए गए बयान पर विवाद बढ़ता जा रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बयान को लेकर संघ प्रमुख पर हमला बोला है, तो उनके बचाव में आरएसएस प्रवक्ता मनमोहन वैद्य और केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरन रिजिजू उतर आए हैं. अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मोहन भागवत के बयान का बचाव किया है.

पटना में मीडिया से बात करते हुए नीतीश ने कहा कि अगर कोई संगठन सीमा की रक्षा के लिए तत्पर है, तो मैं नहीं समझता हूं कि इस मुद्दे पर विवाद होना चाहिए.

कभी दिया था संघ मुक्त भारत का नारा

नीतीश का संघ प्रमुख के समर्थन में बयान देना इसलिए भी चौंकाता है क्योंकि नीतीश उन नेताओं में से एक रहे हैं, जो 'संघ मुक्त भारत' का नारा जोर-शोर से लगाते हुए नज़र आए हैं. हालांकि, राजद का साथ छोड़ एक बार फिर बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद से ही नीतीश के रुख में थोड़ी नरमी आई है.

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नीतीश के राज में संघ अपने संगठन को बिहार में मजबूत बनाने में जुटा है. मोहन भागवत करीब 10 दिनों के दौरे पर बिहार में हैं. बिहार प्रवास पर RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को पटना के शाखा मैदान में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वह लगातार बिहार दौरे पर इसलिए आ रहे हैं ताकि प्रदेश में संगठन मजबूत हो और उसका विस्तार किया जा सके.  

2015 में हुए बिहार चुनाव के दौरान नीतीश कुमार की जेडीयू ने लालू यादव की राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. उस दौरान जेडीयू का नारा 'कांग्रेस मुक्त भारत' की जगह 'संघ मुक्त भारत' का था.

क्या था भागवत का बयान ?

बता दें कि रविवार को बिहार के मुज्जफरपुर में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा था कि देश को अगर हमारी जरूरत पड़े और हमारा संविधान और कानून इजाजत दे हम तुरंत तैयार हो जाएंगे. स्वयंसेवकों की कुव्वत का बखान करते हुए संघ प्रमुख ये भी कह गए कि सेना को तैयार होने में 6-7 महीने लग जाएंगे, लेकिन हम दो से तीन दिन में ही तैयार हो जाएंगे, क्योंकि हमारा अनुशासन ही ऐसा है.

मोहन भागवत पिछले 6 फरवरी से मुजफ्फरपुर के प्रवास पर हैं. इस दौरान उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. कार्यक्रम के अंतिम दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि अनुशासन ही हमारी पहचान है.

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