नरेंद्र मोदी को उनकी पार्टी द्वारा अगले लोकसभा चुनाव में चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाए जाने पर जदयू के बीजेपी से संबंध तोड़ लेने से विचलित बीजेपी ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. बीजेपी ने नीतीश कुमार के बारे में कहा कि उन्हें ‘नमोनिया’ हो गया है.
मोदी को उनके कार्यकर्ताओं के बीच ‘नमो’ कहा जाता है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राजीव प्रताप रूडी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए नीतीश को ‘नमोनिया’ हो जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी का नाम आने पर उन्हें बार-बार बुखार आ जाता है.
रूडी ने नीतीश से जानना चाहा ‘आपको मोदी का इतना खौफ क्यों है? उन्होंने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘नमोनिया’ हो जाने के कारण उन्हें अच्छे डॉक्टर से मशविरा लेने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में कच्छ में रेल कार्यक्रम के दौरान नरेंद्र मोदी जी के बारे में नीतीश ने कहा था कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि वे (नरेंद्र मोदी) गुजरात के दायरे में सिमट कर नहीं रहेंगे, देश को उनकी सेवा मिलेगी और उनकी उसी भविष्यवाणी पर आज जब वे राजनीति ऊंचाई छू रहे हैं तो नीतीश की उनसे दूरी बरतने की आखिर वजह क्या है यह उन्हें स्पष्ट करना चाहिए.
कांग्रेस के साथ नये प्रेम होने का आरोप लगाते हुए बुधवार को बिहार विधानसभा में विश्वास मत के दौरान उससे समर्थन लिए जाने और बीजेपी से संबंध विच्छेद करने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा नीतीश को धर्मनिरपेक्ष बताए जाने पर रूडी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि नीतीश को यह मालूम होना चाहिये कि सिंह उसी दल से आते हैं जो कि वर्ष 1984 के सिख दंगे में करीब पांच हजार लोगों की हत्या के लिए जिम्मेवार है.
रूडी ने कहा कि एनडीए से संबंध तोड़ने वाले नीतीश कुमार यह कहते हैं कि वह अपने ज़मीर से समझौता नहीं कर सकते पर हमारा मानना है कि उन्होंने सत्ता में बने रहने के लिए कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों से हाथ मिलाकर अपने ज़मीर से समझौता किया है. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी की सोच के अनुसार नीतीश और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद में कोई अंतर नहीं है क्योंकि दोनों अहंकारी और स्वार्थी हैं. रूडी ने कहा कि नीतीश ने वर्ष 2002 के गुजरात विधानसभा चुनाव परिणाम को कांग्रेस के विरुद्ध बताया था और वर्ष 2005 में बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान राजद और कांग्रेस द्वारा पूर्णिया और किशनगंज जिला में गुजरात दंगा की सीडी दिखाए जाने की शिकायत चुनाव आयोग से की थी.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 के शुरूआत में नीतीश ने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ एक बैठक के दौरान नरेंद्र मोदी को बीजेपी में एक उभरता हुआ नेता बताया था और कहा था कि वह गरीब पिछडी जाति से आते हैं और इस बारे में एक अखबार में जदयू के पूर्व नेता प्रेम कुमार मणि का पिछले साल एक लेख भी प्रकाशित हुआ था. रूडी ने नीतीश पर अवसरवाद की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2000 और फरवरी 2005 में नीतीश के दल को बीजेपी से कम सीट होने के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री पद दिया गया था.
रूडी ने कहा कि जब नीतीश के मुख्यमंत्री बनाए जाने का उनके ही पार्टी के कुछ नेता विरोध कर रहे थे उस समय बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी, जो इस पद के हकदार थे, ने त्याग का परिचय देते हुए नीतीश को आगे बढ़ाया था. रूडी ने कहा कि नीतीश के अवसरवादी रुख को बीजेपी ने उसी समय भांप लिया था जब उनके दल के लोगों ने पिछले राष्ट्रपति चुनाव के दौरान कांग्रेस के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया. उन्होंने नीतीश पर बिहार की जनता का विश्वास खो देने का दावा करते हुए कहा कि राज्य की जनता ने एनडीए के पक्ष में जनादेश दिया था और नीतीश अपने सिद्धांत पर कायम रहने के बजाए समझौता करते हुए सत्ता में बने रहने के लिए कांग्रेस और अन्य के साथ हाथ मिला लिये.