बिहार में भाजपा और जदयू के बीच एक बार फिर से जुबानी जंग शुरू हो गई है. जदयू ने भाजपा पर सीधा हमला करते हुए कहा कि पार्टी ऐसे नेताओं पर लगाम लगाए जिनके चलते भाजपा को महाराष्ट्र में शिवसेना जैसे पुराने साथी को छोड़ना पड़ा.
जदयू का ये हमला भाजपा के सासाराम सांसद छेदी पासवान के उस बयान को लेकर माना जा रहा है जिसमें पासवान ने कहा था कि नीतीश कुमार को सत्ता की लालसा है और वे सत्ता के लिए दाऊद इब्राहिम से भी हाथ मिला सकते हैं जो 1993 में मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट का मास्टरमाइंड है.
जदयू के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि क्या छेदी पासवान को महबूबा मुफ्ती याद हैं, जिनपर भाजपा हमला करती थी, लेकिन सत्ता की लालसा के चलते जम्मू-कश्मीर में उनके साथ साझा सरकार बनाई.
बता दें, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने से पहले पीडीपी-भाजपा गठबंधन ने जम्मू और कश्मीर में आखिरी सरकार बनाई थी. राजीव रंजन प्रसाद ने पासवान को महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे की भी याद दिलाई, जिन्हें दाऊद के साथ कथित संबंधों के उजागर होने के बाद तत्कालीन भाजपा सरकार से निष्कासित कर दिया गया था.
छेदी पासवान ने बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल की ओर से जदयू पर किए गए हमले के बाद कहा था कि नीतीश कुमार के साथ भाजपा का कार्यकाल एक गलती है. साथ ही उन्होंने सत्ता के बंटवारे के फार्मूले का समर्थन किया जिसमें भाजपा को सरकार के पांच साल के आधे कार्यकाल के लिए अपना मुख्यमंत्री रखने की अनुमति दी.
छेदी पासवान के खिलाफ कार्रवाई न करने से आश्चर्य में जदयू
उधर, जदयू के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन प्रसाद ने पासवान जैसे नेताओं के खिलाफ जायसवाल की ओर से कोई कार्रवाई नहीं करने पर आश्चर्य जताया. राजीव रंजन ने कहा कि जायसवाल शराबबंदी के लाभों पर सवाल उठाते रहते हैं, जिसने बिहार के गांवों को बदल दिया है. उनकी पार्टी को हमें नोटबंदी के लाभ के बारे में बताना चाहिए, जिससे कई लोग मारे गए और कई लोग बैंकों और एटीएम के बाहर अपनी बारी का इंतजार करते रहे.
उन्होंने जायसवाल के इस दावे पर भी निराशा व्यक्त की कि बिहार को महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की तुलना में अधिक केंद्रीय सहायता मिल रही है. राजीव रंजन ने कहा कि अर्थशास्त्र की उनकी समझ दयनीय लगती है. बिहार को ऐतिहासिक रूप से माल ढुलाई जैसी नीतियों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है. जदयू नेता ने भाजपा को यह याद दिलाने की कोशिश की कि हमारे संबंध एक दशक से अधिक पुराने हैं, लेकिन महाराष्ट्र के उदाहरण का हवाला देते हुए भाजपा को आगाह किया और कहा कि महाराष्ट्र में अहंकार के चलते भाजपा और शिवसेना का गठबंधन टूट गया जिसके बाद शिवसेना ने शरद पवार की राकांपा और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई.