गंगा नदी की अविरलता को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली में बैठे लोगों पर निशाना साधा है. बिहार में बीजेपी की सरकार बनने के बाद यह पहला अवसर दिखा जिसमें नीतीश कुमार ने कहा कि सुविधा और कंफर्ट के चक्कर में पर्यावरण से खिलवाड़ हो रहा है. उन्होंने कहा कि मेरे लाख कहने के बाद दिल्ली में बैठे लोग गंगा को नहीं समझ पा रहे हैं. दिल्ली के लोगों को गंगा की स्थिति का एहसास नहीं है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार ने गंगा की अविरलता के लिए एक कमेटी बनाई है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से इनलैंड वाटर-वे के बारे में चर्चा हुई थी. मैंने कहा कि इसके लिए गंगा नदी का फ्लो ठीक करना होगा. गंगा की निर्मलता के साथ-साथ अविरलता जरूरी है.
उन्होंने कहा, गंगा नदी के अप स्ट्रीम उत्तराखंड, उतर प्रदेश में स्ट्रक्चर के बनने से नेचुरल फ्लो बाधित हुआ है. बिहार में 400 क्यूमेक्स पानी आना है और बिहार से फरक्का को 1600 क्यूमेक्स पानी देना है, लेकिन चैसा के पास 400 क्यूमेक्स पानी नहीं पहुंच पाता है. पानी का नॉर्मल फ्लो नहीं होने के कारण सिल्ट डिपॉजिट होता है. फरक्का बराज की डिजाइन के कारण भी पूरा सिल्ट नहीं निकल पाता है. इसको जानने और समझने की जरूरत है.
नीतीश ने कहा, जहां तक गंगा नदी के अध्ययन का प्रश्न है तो सबसे पहले फरक्का बराज से अप स्ट्रीम के 140 किलोमीटर तक जो आपके पास उपलब्ध आंकड़े हैं, उसके आधार पर विश्लेषण कीजिए. सुपौल के वीरपुर में फिजिकल मॉडलिंग सेंटर का निर्माण कराया जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि किन जगहों पर बांध कमजोर है, कहां ज्यादा बर्बादी होगी, किन जगहों पर पानी का फैलाव होगा, इन सबका पहले से आंकलन करने से काफी सहुलियत होगी. इस सेंटर के माध्यम से रिवर सिस्टम की भी जानकारी मिलेगी, जिसमें शुरू में कोसी और बागमती का आकलन किया जाएगा, बाद में अन्य नदियों का.
कोसी नदी में सबसे ज्यादा सिल्ट की समस्या है. उन्होंने कहा कि इन नदियों के साथ-साथ गंगा नदी पर भी अध्ययन किया जाना चाहिये. भागलपुर के 25 किलोमीटर तक अप स्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम के आंकड़े इनके पास उपलब्ध हैं, जिसके आधार पर यह विश्लेषण किया जाएगा कि फरक्का बराज के कारण गंगा में कितना सिल्ट जमा होता है.
उन्होंने कहा कि ऐसा कोई सिस्टम नहीं था, जो पहले से बाढ़ का आंकलन कर सके. अब यह मैथेमेटिकल मॉडलिंग सेंटर मूर्तरूप ले चुका है, जिसमें वर्ष 2018 के साथ-साथ आगे के भी आंकड़ों के संकलन को रखा जाएगा. पहले के 10 वर्ष के आंकड़ों के द्वारा भी ये लोग आंकलन करेंगे. मैथेमेटिकल मॉडलिंग सेंटर के माध्यम से ये बात बतायी गई है कि शुरुआत में कोसी और बागमती नदी का अध्ययन किया जाएगा.