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द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने में सहयोग लेकिन शपथ समारोह से दूरी, नीतीश की 'गैरमौजूदगी' पर सियासत

बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में ना जाना बड़ा मुद्दा बन गया है. सवाल उठने लगा है कि आखिर वे क्यों शपथ समारोह में नहीं गए. उन्होंने समर्थन का ऐलान किया था, पार्टी ने वोट भी किया, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह से दूरी बनाई गई.

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सीएम नीतीश कुमार
सीएम नीतीश कुमार

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर सियासत शुरू हो गई है. नीतीश कुमार राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए. इस पर राजद और बाकी पार्टियों के नेताओं ने बयानबाजी शुरू कर दी. जब सियासी तापमान ज्यादा बढ़ गया तो संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सफाई देने का काम किया.

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उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार हर कार्यक्रम में शामिल हो ये जरूरी नहीं है. नीतीश जी का अपना कार्यक्रम है. उसी में व्यस्त हैं. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के नही शामिल होने का कोई अर्थ नही निकाला जाए , जब द्रौपदी मुर्मू जी राष्ट्रपति बन चुकी हैं और नीतीश जी ने उन्हें समर्थन कर राष्ट्रपति बनने पर बधाई भी दे दी है. तो उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होने पर बेवजह सियासत हो रही है.

वहीं जब बात बढ़ी तो जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी मैदान में उतर गए. उन्होंने नीतीश कुमार को लेकर कहा कि उनकी ओर से JDU के सांसदो को निर्देश दिया गया था कि वे राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हों. और इसके बाद JDU के सांसद शपथ ग्रहण समारोह में शामिल भी हुए. उन्होंने कहा कि JDU के तरफ़ से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में जदयू के कई सांसद शामिल हुए थे. जिनमें जदयू सांसद सुनील पिंटू, आलोक सुमन, रामप्रीत मंडल, विजय मांझी, महाबली सिंह, दिनेश यादव, गिरधारी यादव, कविता सिंह, कौशलेंद्र कुमार शामिल हैं. 

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वहीं दूसरी ओर नीतीश के शपथ ग्रहण में शामिल नहीं होने के कयास लगाने का दौर उस बयान से शुरू हुआ है. जिसमें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा था कि बिहार में बड़ी संख्या में आतंकियों का स्लीपर सेल काम कर रहा है. हर ज़िले में टेरर मॉड्यूल काम कर रहा है. जिसके बाद उपेन्द्र कुशवाहा ने संजय जायसवाल पर हमला बोला था. उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा था कि संजय जायसवाल जिस तरह से बोल रहे हैं, उन्हें बयान देने की जगह वो जानकारी शेयर करनी चाहिए. सिर्फ़ बोलने से क्या फ़ायदा है, उनके बयान का कोई मतलब नही है.

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