बिहार में महागठबंधन के भविष्य को लेकर चल रही अटकलों के बीच नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर लालू यादव पहले ही साफ कर चुके थे कि तेजस्वी इस्तीफा नहीं देंगे. नीतीश के इस्तीफा से साफ है कि बिहार में महागठबंध का अंत हो गया है अब नई सरकार के गठन पर विचार-मंथन किया जाएगा, जिसमें बीजेपी की भूमिका अहम रहेगी, क्योंकि अब बिहार में बिना बीजेपी के सहयोग से सरकार का गठन मुमकिन नहीं है.
नीतीश के इस्तीपे के बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा है कि बीजेपी राज्य में मध्यावधि चुनाव नहीं चाहती क्योंकि जो विधायक जीतकर आए हैं वह पूरे 5 साल जनता का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं. ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व की ओर से प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय समेत 3 सदस्यीय समिति बनाई है जो विधायकों की राय जानकर केंद्रीय नेतृत्व को अवगत कराएगी. मतलब साफ है बीजेपी ने नई सरकार के गठन के लिए समर्थन के संकेत दे दिए हैं.
नीतीश कुमार ने दिया बिहार CM पद से इस्तीफा, 20 महीने में ही टूटा महागठबंधन
बिहार में विपक्षी दल बीजेपी के नेता सुशील कुमार मोदी ने ही लालू यादव के परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. उनकी ओर से ही लालू की बेनामी संपत्ति मामले में सीबीआई के समक्ष कई शिकायतें दर्ज कराई गई हैं. बीजेपी लगातार लालू यादव के परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए नीतीश को गठबंधन तोड़ने के लिए कहती आई है. साथ ही बीजेपी के कई नेता नीतीश कुमार को सरकार चलाने के लिए बाहर से समर्थन देने की बात पहले भी कह चुके हैं. ऐसे में अब नीतीश एनडीए के समर्थन से सरकार बना सकते हैं.
बिहार विधानसभा मेंन 243 सीटें हैं जिनमें में जेडीयू के पास 71 सीटें है और बीजेपी के पास 53 सीटें हैं. अगर इनमें LJP-RSP की 2-2 और हम की एक सीटें भी मिला दी जाएं तो सीटों का कुल योग 129 पहुंच जाएगा और बहुमत का आंकड़ा आसानी से हासिल किया जा सकता है. बीजेपी की नजरें अब जेडीयू के साथ सरकार बनाने पर होंगी. कुछ दिन पहले ही बिहार बीजेपी अध्यक्ष नित्यानंद राय ने बयान दिया था कि अगर नीतीश कुमार तेजस्वी को बर्खास्त करते हैं और इससे सरकार पर संकट आता है तो बीजेपी नीतीश को बाहर से समर्थन देगी. लेकिन मौजूदा स्थिति अलग है, नीतीश खुद इस्तीफा दे चुके हैं ऐसे में नई सरकार आरजेडी की 80 और कांग्रेस की 27 सीटों के बिना ही बनेगी क्योंकि जेडीयू अब महागठबंध का हिस्सा नहीं है.