बिहार में एक बार फिर सत्ता के शिखर पर बैठे नीतीश कुमार ने सीएम बनते ही केंद्र की सत्ता को सीधी चुनौती दी है. भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ 24 घंटों के उपवास के बाद अब वह इसके खिलाफ अन्ना आंदोलन का साथ देने वाले हैं. शनिवार को उपवास के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा कि यह किसानों के लिए काला कानून है और इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
अपने संबोधन में पार्टी नेताओं को कार्यकर्ताओं से नीतीश ने कहा, 'सरकार जिस भूमि अधिग्रहण बिल को लाना चाहती है वह किसानों के हित पर प्रहार करने वाला कानून है. हम इस काले कानून का विरोध करते हैं. यह कानून अगर पारित हो भी गया तो हम इसे बिहार में लागू नहीं होने देंगे.'
अन्ना के समर्थन में नीतीश
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में 76 फीसदी लोग कृषि पर आधारित हैं. अंग्रेजों के समय जो कानून था उसमें सरकार को पूरा अधिकार था. लेकिन 2013 में नया कानून आया जिसने किसानों को अधिकार. अब सरकार फिर से नया कानून लाना चाहती है, जो वोट तो किसानों से लेती है लेकिन काम कॉरपोरेट के लिए करती है.
नीतीश ने कहा कि उनका इस काले कानून के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन को समर्थन रहेगा और वह उनकी 3 महीने की पदयात्रा को भी समर्थन देंगे.
किसके अच्छे दिन
बिहार के सीएम ने केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि जब से सरकार बनी है यह साफ हो गया है कि किसके अच्छे दिन आए हैं. नीतीश ने कहा, 'इनके विकास का मॉडल कभी सफल नहीं होगा. क्योंकि विकास का ये नजरिया ही गलत है. सरकार के पास लोकसभा में बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में वह जोर-जबरदस्ती की कोशिश कर रही है. हम विरोध के लिए विरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि अपने अनुभव से कह रहे हैं.
अपने उपवास के बारे में नीतीश ने कहा कि उपवास पर बैठने से अच्छी अनूभूति होती है.