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बिहार के सीएम नीतीश ने भ्रष्‍टाचार के खिलाफ खोला मोर्चा, पौने छह सौ अफसरों को करेंगे बर्खास्‍त

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आम आदमी पार्टी का असर दिखने लगा है. राज्य में भ्रष्टाचार रोकने के लिए उन्होंने कमर कस ली है. इसी कड़ी में वह 576 अफसरों और कर्मचारियों को बर्खास्त करने जा रहे हैं.

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नीतीश कुमार
नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आम आदमी पार्टी का असर दिखने लगा है. राज्य में भ्रष्टाचार रोकने के लिए उन्होंने कमर कस ली है. इसी कड़ी में वह 576 अफसरों और कर्मचारियों को बर्खास्त करने जा रहे हैं.

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अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह खबर दी है. नीतीश कुमार ने बुधवार को राज्य में भ्रष्टाचार संबंधित मामलों की जांच का जायजा लिया. वहां कई अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ जांच चल रही है. इनमें से 187 के खिलाफ जांच लगभग पूरी हो चुकी है. समझा जाता है कि उन्हें तुरंत ही बर्खास्त कर दिया जाएगा. आईएएनएस के मुताबिक पटना में बैठक के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री ने सभी डीएम एवं एसपी के साथ भ्रष्टाचार के मामलों की समीक्षा की.

उन्‍होंने कहा कि 576 भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है. भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे की ओर जाता है लेकिन बिहार में निचले स्तर पर भ्रष्टाचार है. बैठक के बाद मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि मुख्यमंत्री ने बैठक में सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि दो महीने के अंदर भ्रष्ट पदाधिकारियों पर विभागीय कारवाई कर अधिक से अधिक भ्रष्टों को बर्खास्त करें. दो महीने के अंदर 300 से अधिक भ्रष्ट पदाधिकारी और कर्मी भ्रष्टाचार के मामले में बर्खास्त होंगे, तब जनता में एक संदेश जाएगा.

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उन्होंने कहा कि 2006 में पुलिस एवं न्यायपालिका के सहयोग से फास्ट ट्रैक कोर्ट की शुरुआत आर्म्स एक्‍ट को लेकर शुरू हुई थी, जिससे लोगों में अपराध के खिलाफ एक वातावरण बना था. अब तक 89 हजार अपराधियों को त्वरित न्यायालय के माध्यम से सजा दिलाई जा चुकी है.

सीबीआई की तरह मजबूत करेंगे विजिलेंस
बिहार में निगरानी (विजिलेंस) विभाग को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की तरह मजबूत किया जाएगा.
मुख्‍य सचिव हर सप्ताह भ्रष्टाचार एवं ट्रैप के मामले में विभागीय कारवाई को देखें.
डीएम को इस मामले में विशेष अधिकार दिया जाएगा.
सभी विभागों में एक निगरानी पदाधिकारी नियुक्त होगा.
जिले में एक सिविल सेवा के पदाधिकारी तथा एक पुलिस सेवा के पदाधिकारी निगरानी पदाधिकारी के रूप में नियुक्त होंगे.
ये सभी निगरानी आयुक्त के अधीन काम करेंगे.
भ्रष्टाचार की सूचना देने वालों को पुरस्कृत किया जाएगा.
15 दिनों के अंदर सभी विभागों का हेल्पलाइन जारी किया जाएगा.

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