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नीतीश कुमार बन सकते हैं JDU के नए अध्यक्ष, शरद यादव पेश नहीं करेंगे दावा

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी पार्टी जेडीयू के अगले अध्यक्ष हो सकते हैं. जेडीयू 10 अप्रैल को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नया अध्यक्ष चुनेगी. क्योंकि मौजूदा अध्यक्ष शरद यादव ने इस पद के लिए चौथी बार अपना नाम आगे नहीं करने का निर्णय किया है.

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शरद ने नीतीश को बताया अपना फैसला
शरद ने नीतीश को बताया अपना फैसला

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी पार्टी जेडीयू के अगले अध्यक्ष हो सकते हैं. जेडीयू 10 अप्रैल को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नया अध्यक्ष चुनेगी. क्योंकि मौजूदा अध्यक्ष शरद यादव ने इस पद के लिए चौथी बार अपना नाम आगे नहीं करने का निर्णय किया है. बीते दस साल से शरद यादव इस पद पर काम कर रहे हैं.

तीन बार जेडीयू अध्यक्ष रहे शरद यादव
जेडीयू सांसद केसी त्यागी ने सोमवार को बताया कि पार्टी अध्यक्ष के रूप में शरद यादव ने लगातार तीन कार्यकाल पूरे किए हैं. उन्होंने अब पार्टी के संविधान में कोई संशोधन कराने से इंकार किया है, क्योंकि इसके बाद ही उन्हें अगले कार्यकाल के लिए चुना जा सकता था. यादव को पार्टी में संशोधन के बाद 2013 में इस पद के लिए तीसरी बार चुना गया था. शरद यादव, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ पार्टी के संस्थापकों में शामिल हैं.

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जेडीयू को बिहार से बाहर बढ़ाना चाहते हैं नीतीश
बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार खुद पार्टी अध्यक्ष का दायित्व संभाल सकते हैं. वह पार्टी के जनाधार को बिहार से बाहर भी फैलाना चाहते हैं. इसके तहत जदयू के साथ अजीत सिंह की पार्टी आरएलडी और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के विलय की चर्चा है.

नीतीश को शरद ने बताया अपना फैसला
राज्यसभा सांसद शरद यादव के करीबी सू़त्रों ने बताया कि उन्होंने नीतीश कुमार को अपने रूख से अवगत करा दिया है कि 10 सालों तक पार्टी का नेतृत्व करने के बाद अब वह इस पद पर बने रहने को लेकर उत्सुक नहीं हैं. अब किसी नए व्यक्ति को यह दायित्व सौंपा जाए. नीतीश कुमार की मदद से ही शरद यादव 2006 में पहली बार जेडीयू अध्यक्ष बने थे. उस दौरान जॉर्ज फर्नाडिस पार्टी के शीर्ष पर थे.

2019 आम चुनाव पर है जेडीयू की निगाहें
जानकार लोग जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव को पार्टी की आतंरिक रूपरेखा में बदलाव के संकेत के तौर पर देख रहे हैं. जब नीतीश कुमार पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए तैयार कर रहे हैं और इसमें उनका सहयोग चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर कर रहे हैं. किशोर ने साल 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी.

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चार दशक से राजनीति में सक्रिय हैं शरद
शरद यादव समाजवादी धड़े के देश के शीर्ष नेताओं में शुमार हैं. राज्यसभा में जेडीयू सांसद हैं शरद का चार दशक से अधिक लंबा संसदीय जीवन रहा है. वह 1991 से 1996 तक जनता दल के अंग रहे. उसके बाद लालू प्रसाद की पार्टी राजद के भी साथ रहे. 1998 में शरद यादव और जार्ज फर्नांडिस ने मिलकर जेडीयू का गठन किया. उन्होंने ही नीतीश कुमार को भी इससे जोड़ा. 1998 में शरद यादव और लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन में भी उनकी बड़ी भूमिका रही.

उत्कृष्ट सांसद का मिला है पुरस्कार
सबसे पहले 1974 में यादव मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से चुने गए. उस समय जेपी आंदोलन चरम पर था. हलधर किसान चुनाव चिह्न से चुने जाने वाले पहले उम्मीदवार शरद ही थे. 1977 में वह दोबारा उसी क्षेत्र से चुने गये. बाद में बिहार के मधेपुरा से वह 1996 से लेकर 2015 के लोकसभा चुनाव से पहले तक सांसद रहे. साल 2012 में शरद यादव को उत्कृष्ट सासंद का पुरस्कार भी दिया गया.

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