केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी अग्निपथ योजना को लेकर अगर किसी प्रदेश में सबसे ज्यादा विरोध हुआ है तो वह है बिहार. यहां करोड़ों की संपत्ति जलकर खाक हो चुकी है. लेकिन सियासत है कि थमने का नाम ही नहीं लेती. जहां RJD लगातार अग्निपथ योजना का विरोध कर रहा है, वहीं एनडीए की सहयोगी जदयू भी अग्निपथ के समर्थन में खुलकर सामने नहीं आ रही है. अंदरखाने चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 'अग्निपथ' पर चलने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं. इस बार का बिहार विधानसभा में होने वाला मानसून सत्र कई मायनों में अलग रहा. अग्निपथ को लेकर सवाल-जवाब हुए. वहीं, दूसरी ओर एनडीए विधानमंडल दल की बैठक नहीं हुई.
सबसे बड़ी बात ये है कि किसी भी सत्र के शुरू होने से पहले सभी पार्टियों यानी खासकर सत्ता पक्ष के गठबंधन के विधानमंडल दल की बैठक होती है, इसमें निर्णय लिया जाता है कि सदन को कैसे चलाया जाए. सरकार की ओर से क्या रुख रहेगा. लेकिन इस बार एनडीए विधानमंडल दल की बैठक यानी एनडीए की बैठक नहीं हुई. एनडीए विधानमंडल दल की बैठक नीतीश कुमार की अध्यक्षता में होती है. मुख्य सचेतक जदयू के श्रवण कुमार हैं, और उपमुख्य सचेतक बीजेपी के जनक सिंह हैं. दोनों पार्टियों को मिलाकर कुल 9 सचेतक हैं. सचेतक ही बैठक का आयोजन करते हैं.
बैठक न होने की दलील को लेकर बताया जा रहा है कि इसका असली कारण अग्निपथ योजना है. क्योंकि इस पथ पर जदयू चलने को तैयार नहीं है. विधायकों ने दबी जुबान में कहा कि इस बार विधानमंडल दल की बैठक होती, तो नीतीश कुमार को अग्निपथ योजना के बारे में बात करनी पड़ती. इसलिए बैठक नहीं हुई. वहीं सियासी पंडितों का कहना है कि अग्निपथ को लेकर नीतीश कुमार पहले से ही असहज हैं और उसके बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के बीच अग्निपथ को लेकर हुए हॉट-टॉक को भी इसका कारण बताया जा रहा है.
वहीं इस मामले में मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने बताया कि अलग-अलग सभी दलों की बैठक हुई है. को-आर्डिनेशन करके हम लोग सदन को चलाते हैं. बैठक महत्व नहीं रखती है. दलों में आपसी को-आर्डिनेशन है. इसलिए सत्र अच्छे से संपन्न हुआ. हालांकि बैठक का ना होना श्रवण कुमार को असहज कर गया है. उन्होंने साफ कहा कि इस बार बैठक नहीं हो पाई. आगे से इसका ख्याल रखा जाएगा. सियासी जानकारों की मानें, तो बैठक ना होने के पीछे अग्निपथ है, क्योंकि जदयू इसको लेकर असहज है.