नीतीश कुमार के दबाव के सामने उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड को आखिरकार झुकना ही पड़ा. जेडीयू विधायक दल ने सोमवार को नीतीश के इस्तीफे को मंजूर कर लिया. साथ में यह भी तय किया गया कि बिहार का अगला मुख्यमंत्री चुनने का अधिकार नीतीश के पास ही होगा.
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए शनिवार को नीतीश ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसे बिहार के राज्यपाल डीवाई पाटिल द्वारा मंजूर कर लिया गया था. हालांकि, नीतीश ने विधानसभा भंग नहीं करने की सिफारिश की थी. आपको बता दें कि 2009 में 20 सीटें जीतने वाली जेडीयू इस बार मोदी लहर में ढेर हो गई. पार्टी सिर्फ 2 सीटें ही जीत सकी.
नीतीश के इस्तीफे के बाद बिहार का सियासी माहौल गरमा गया था. पार्टी अध्यक्ष शरद यादव नीतीश के इस्तीफे के पक्ष में थे. उनके इस फैसले के बाद रविवार को विधायक दल का नया नेता चुनने के लिए बैठक बुलाई गई. जिसमें सारे विधायक नीतीश के सीएम बने रहने पर अड़े रहे. इसके बाद नीतीश कुमार ने सोचने के लिए एक दिन का वक्त मांगा था. लेकिन, आज नीतीश कुमार ने अपने इस्तीफे के फैसले को वापस नहीं लेने का ऐलान कर दिया जिसे विधायक दल को मानना पड़ा.
बैठक के बाद जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने बताया, 'हमने नीतीश जी का इस्तीफा मंजूर कर लिया है. हमारी पार्टी ने आज शाम राज्यपाल से मिलने का वक्त मांगा है. जेडीयू एक बार फिर सरकार बनाने का दावा पेश करेगी. हालांकि, सहमति नहीं बन पाने के कारण अभी नेता का नाम तय नहीं हुआ है. विधायकों ने यह अधिकार नीतीश कुमार को दे दिया है.
वशिष्ठ नारायण सिंह ने बताया कि सीएम नहीं रहने के बावजूद नीतीश कुमार पार्टी का नेतृत्व करेंगे. पार्टी उनके अंदर ही काम करेगी. वह पार्टी और सरकार के बीच समन्वय का काम करेंगे. इसके अलावा, 2015 का विधानसभा चुनाव नीतीश के नेतृत्व में लड़ा जाएगा और जीत के बाद वही हमारे मुख्यमंत्री बनेंगे.