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नालंदा के सांसद ने की सीट ऑफर, लोकसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर नीतीश बोले- छोड़िये ना, काहे चिंता करते हैं

नालंदा से जेडीयू सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगर लोकसभा का चुनाव लड़ते हैं तो वह अपनी सीट उनके लिए छोड़ देंगे. जब नीतीश कुमार से अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सवाल टाल दिया.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर विपक्ष को एकजुट करने में लगे हुए हैं. तमाम विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर चुके नीतीश को लेकर भी एक सवाल बना हुआ है कि क्या वह खुद भी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे? इस सवाल को तब और बल मिला जब नालंदा से जेडीयू के लोकसभा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने सीएम को चुनाव लड़ने के लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की. 

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सांसद की पेशकश पर सीएम का जवाब

मौजूदा सांसद कौशलेंद्र कुमार, जो लगातार तीसरी बार अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं, ने शनिवार को कहा कि अगर उनके गुरु मैदान में उतरना चाहते हैं तो वह सीट छोड़ने को तैयार हैं. उन्होंने कहा, 'मैं नीतीश कुमार से अनुरोध करूंगा कि नालंदा उनकी पारंपरिक सीट है और मैं उनका प्रतिनिधि हूं. हम चाहते हैं कि वह देश के प्रधानमंत्री बनें.'  जब पत्रकारों ने सांसद कौशलेंद्र कुमार के बयान को लेकर नीतीश कुमार से बात की तो उन्होंने कहा, 'छोड़िए ना आप लोग काहे चिंता करते हैं.'

विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं नीतीश

दरअसल हाल के दिनों में नीतीश कुमार के राजनीतिक दौरों की खूब चर्चा हुई है. कुछ समय पहले उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करने के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी. इसके बाद उन्होंने कोलकाता का दौरा किया और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव से भी मुलाकात की. 

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नीतीश कुमार भले ही बार-बार ये दोहरा भी रहे हैं कि वे प्रधानमंत्री पद की दौड़ में नहीं हैं, लेकिन सियासी जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार सियासत में सधे हुए कदम उठाने के लिए जाने जाते हैं. 

महागठबंधन में आना रणनीति का हिस्सा!

बीजेपी को छोड़कर महागठबंधन में आना नीतीश की रणनीति का खास हिस्सा है. नीतीश को पता था कि वे बीजेपी के साथ रहते हुए राष्ट्रीय स्तर पर उनकी कोई चर्चा नहीं थी. वे तीसरी पंक्ति के नेता भर बनकर रह गये थे. बीजेपी की नजर में सीएम नीतीश का सियासी वैल्यू मध्य प्रदेश और बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से ज्यादा कुछ नहीं थी. नीतीश को यही बात कचोट रही थी. उन्हें पता है कि वे पहली पंक्ति के राजनेता हैं. 

बीजेपी के साथ रहते हुए उन्हें पहली पंक्ति वाला भाव नहीं मिलेगा. उसके बाद उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ लिया. महागठबंधन में आते ही एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर उनका चेहरा चर्चा का विषय बना हुआ है. नीतीश कुमार के मन के अंदर एक और सवाल भी है. उन्हें लगता है कि गुजरात का मुख्यमंत्री रहने वाला कोई व्यक्ति पीएम बन सकता है, वो विपक्षी एकता की कवायद के जरिए बिहार का मुख्यमंत्री होकर पीएम क्यों नहीं बन सकते हैं. 

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क्या कहते हैं जानकार

जानकार मानते हैं कि भले नीतीश आज की तारीख में पीएम पद के लिए ना करें, लेकिन यदि क्षेत्रीय क्षत्रपों की महात्वाकांक्षा को वे राजनीतिक तौर पर शांत करने में कामयाब हो जाते हैं. तो नीतीश को पीएम पद की जिम्मेदारी भी मिल सकती है. आगामी लोकसभा चुनाव में महागठबंधन में रहते हुए नीतीश की पार्टी को सम्मानजनक सीट मिल जाता है. जेडीयू 16 या 17 सीटें जीत जाती है, तो फिर नीतीश का कद केंद्र की राजनीति में काफी बढ़ जाएगा. 

 

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