पटना-2017 से ही स्मार्ट सिटी बन रहा है, लेकिन अगर आप शहर में घूमें तो कुछ फ्लाईओवर, कुछ अच्छी सड़कें दिखेंगी पर धरातल पर स्मार्ट सिटी जैसा आपको कुछ दिखाई नहीं देगा, जबकि 2022 तक पटना को स्मार्ट सिटी बना देना है. बिहार के नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा का दावा है कि तय समय पर पटना स्मार्ट सिटी बन जाएगा. पटना के अलावा बिहार में भागलपुर, मुजफ्फरपुर और बिहार शरीफ को स्मार्ट सिटी बनाना है.
पटना को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 2776.16 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें से करीब 800 करोड़ का काम किया जा चुका है. बताया जा रहा है कि पटना के पूर्व नगर आयुक्त अनुपम सुमन की गलत नीतियों की वजह से पटना को स्मार्ट सिटी बनाने में देरी हुई. नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा कि स्मार्ट सिटी का जो प्रोविजन है, उसको हमें उतारने में समय लगा है, लेकिन सारे काम बहुत जल्दी आपको धरातल पर दिखेंगे.
नगर विकास विभाग ने पटना को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए हाल ही 7 परियोजनाओं की स्वीकृति दी है, जिसमें लगभग 38.5 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी गई है. इसमें 10 करोड़ की लागत से कैफिटेरिया का निर्माण, मौर्या होटल और डीएम आवास के बीच हैप्पी स्ट्रीट के लिए 7 करोड़, फुट ओवरब्रिज के लिए 4.98 करोड़, एबीडी एरिया के थानों के लिए 2.5 करोड़, स्कूल सुधार के लिए 4.63 करोड़, एसके हॉल कैंपस के विकास पर 4.97 करोड़ और गांधी मैदाने के गेट पर 4.50 करोड़ की राशि खर्च की जाएगी.
ये परियोजनाएं की गई हैं रद्द
पटना स्मार्ट सिटी के पहले की स्वीकृत परियोजनाओं को रद्द भी किया गया है. इनमें 10.44 करोड़ की जलापूर्ति, 34 करोड़ की रिसाइकिल्ड वॉटर सप्लाई, 22.50 करोड़ की रूफ टॉप फार्मिंग और 8 करोड़ की ई-रिक्शा परियोजना शामिल है. इन परियोजनाओं को रद्द कर इन्हीं पैसों से नई परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है.