भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कहीं अधिक उत्साह से मना रही है तो इसके राजनीतिक कारण है. इसी मौके पर मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह आधिकारिक तौर पर पटना में बिहार विधानसभा चुनावों का कैंपेन छेड़ेंगे.
साल के अंत में होने वाले बिहार चुनावों से पहले दलित वोटरों को लुभाने की तैयारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के छत्र तले बहुत पहले से की जा रही है. संघ का मुखपत्र अंबेडकर पर एक 'विशेषांक' लेकर आया है जिसमें उन्हें मुस्लिम धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाने वाले 'शुद्धिकर्ता' बताया गया है . गौरतलब है कि बिहार चुनाव में दलित वोटर बड़ी भूमिका निभाते हैं और जनता दल गठजोड़ के तहत दलित वोटरों को अपनी ओर खींचना बीजेपी के लिए और मुश्किल हो गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही बर्लिन में हैं, लेकिन वह भी ट्विटर पर अंबेडकर को नमन करना नहीं भूले. उन्होंने लिखा, 'मैं बाबासाहेब अंबेडकर की जयंती पर उनके आगे शीश झुकाता हूं. जय भीम.'
I bow to Dr. Babasaheb Ambedkar on his birth anniversary. Jai Bhim. pic.twitter.com/QaeoWQyyDU
— Narendra Modi (@narendramodi) April 14, 2015
मंगलवार को अमित शाह औऱ राजनाथ सिंह प्रदेश के डेढ़ लाख से ज्यादा बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे. बीजेपी पहले भी नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी प्रकरण से हुई फजीहत को पीछे छोड़ नए सिरे से दलितों को लुभाने की रणनीति में जुट गई है. इसी के तहत बीजेपी अब जोर-शोर से अंबेडकर को अपने खेमे में लेने की कोशिश कर रही है.
सोमवार को राजनाथ जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ हुए एक एनजीओ के कार्यक्रम में भी पहुंचे थे. हालांकि यह बीजेपी का कार्यक्रम नहीं था, लेकिन यह पार्टी के दूरगामी रणनीति में बिल्कुल फिट था. हिंदी पट्टी में बीजेपी की पहचान ब्राह्मण और वैश्य समाज की पार्टी के रूप में है. मोदी और अमित शाह के नेतृत्व वाली नई बीजेपी इस पहचान को बदलने को आतुर है. हालांकि इस मुद्दे पर कांग्रेस भी अब पहले से कहीं अधिक सक्रिय नजर आ रही है.