गंगा की अविरलता के लिए हरिद्वार में सत्याग्रह कर रही बिहार की बेटी पद्मावती की प्राण रक्षा के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं. जल पुरूष के नाम से मशहूर राजेन्द्र सिंह की पहल के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने दो मंत्रियों को हरिद्वार भेजने का फैसला किया है.
नीतीश के ये मंत्री पद्मावती से मिलकर उन्हें आश्वस्त करेंगे कि उनकी मांगों के संदर्भ में कार्रवाई की जा रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भी लिखने वाले हैं. बिहार की नालंदा की रहने वाली पद्मावती पिछले 40 दिनों से सत्याग्रह पर है. उसने अन्न-जल का त्याग कर दिया है.
पद्मावती की उम्र महज 23 साल है. वो पद्मावती से पहले सानिया के नाम से जानी जाती थी. जिस उम्र में लड़कियां अपने परिवार के सुनहरे सपने देखती हैं, उस उम्र में पद्मावती ने समाज के लिए कुछ करने की सोच रखते हुए दो साल पहले संन्यास ले लिया. परिवार त्यागने के बाद अब पद्मावती हरिद्वार के मातृ सदन में रह रही हैं. गंगा को अविरल-निर्मल बनाने की मांग को लेकर वो मातृ सदन परिसर में ही अनशन पर बैठी हुई हैं.
पद्मावती की चार मांगें हैं...
1. उत्तराखंड से जुड़ी अलग-अलग नदियों पर निर्माणाधीन चार बांधों के काम को रोकना
2. भविष्य में किसी नदी पर नया बांध नहीं बनाना
3. गंगा में खनन रोकना
4. गंगा की जमीन केवल गंगा के ही काम लाने के साथ-साथ 11 राज्यों में गंगा की देखभाल के लिए गंगा भक्त परिषद का गठन करना
जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने सरकार से पद्मावती की मांग पर ध्यान देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भी लिखा है. इसमें उसके प्राण रक्षा के लिए प्रधानमंत्री से बात करके इन बांधों के काम को बंद करवाने और पद्मावती के अनशन को सफलतापूर्वक समाप्त कराने का आग्रह किया है.
जल-जन अभियान के संयोजक पंकज मालविय ने कहा कि जल पुरूष के पत्र मिलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तत्काल जल संसाधन मंत्री संजय झा समेत दो मंत्रियों को हरिद्वार भेजने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि बिहार की बेटी की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री ने हर संभव प्रयास करने का आश्वासन भी दिया है. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री हमेशा ही गंगा की अविरलता की आवाज बुलंद करते रहे हैं.
पद्मावती नालंदा के सरमेरा प्रखंड के बड़ी मलावा की मूल निवासी हैं. उनके पिता संत कुमार कनार कला मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक हैं और मां मनोरमा देवी गृहणी हैं. दोनों शुरू से धर्मपरायण रहे हैं और वे रामकृष्ण आश्रम में अपने गुरु स्वामी अरूण से महीने में होने वाले ध्यान और साधना शिविर में भाग लेने सपरिवार जाते थे.
इसका काफी प्रभाव पद्मावती पर पड़ा. उनके पांच बच्चों में साध्वी तीसरी संतान हैं. 1996 में जन्मी पद्मावती ने 2014 में 10वीं की परीक्षा पास की. उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई छोड़ा और पिछले कुम्भ के दौरान साध्वी बन गईं. पिता को अपनी बेटी पर गर्व है. उनका कहना है कि पद्मावती मोह माया से उपर उठ चुकी है, इसलिए वो कभी अपने माता पिता से बात भी नहीं करती.
उन्होंने कहा, गंगा की अविरलता कायम किए बगैर उसकी समस्या दूर नहीं हो सकती है. अविरलता की राह में बाधाओं को दूर करने के लिए लगातार अभियान चल रहा है. इस क्रम में पहला बलिदान बिहार के निगमानंद ने दिया था अब लोगों को डर लग रहा है कि बिहार की बेटी पद्मावती भी उसी राह पर हैं.