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पप्पू यादव की वो 'पिक्चर पॉलिटिक्स' जिसके चलते वो बने नीतीश का निशाना

बिहार में चाहे बाढ़ आई हो या फिर कोरोना का कहर हो, जहां सरकार मदद पहुंचाने में विफल रही, वहां पर पप्पू यादव खड़े नजर आए. उनकी तस्वीरें और बयान मीडिया में छाए रहते हैं. अब नीतीश सरकार ने उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये राजनीतिक बदले की कार्रवाई है?

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पप्पू यादव
पप्पू यादव
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पप्पू यादव की छवि एक बाहुबली नेता की रही
  • कोरोना काल में लोगों का सहारा बने पप्पू यादव
  • पप्पू यादव खुद को गरीबों का मसीहा बनाने में जुटे

जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव की छवि अतीत में बाहुबली की रही है. हालांकि पिछले छह-सात सालों से वो खुद को गरीबों का हमदर्द और जननेता के तौर पर स्थापित करने में लगे हैं. बिहार में चाहे बाढ़ आई हो या फिर कोरोना का कहर हो, जहां सरकार मदद पहुंचाने में विफल रही, वहां पर पप्पू यादव खड़े नजर आए. उनकी तस्वीरें और बयान मीडिया में छाए रहते हैं. अब नीतीश सरकार ने उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये राजनीतिक बदले की कार्रवाई है?

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कोरोना संकट में लोगों को राहत पहुंचाने में जुटे थे

कोरोना की दूसरी लहर में डर से जब आम लोगों के साथ-साथ जनप्रतिनिधि भी अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे तब पूर्व सांसद पप्पू यादव बिहार की सड़कों पर उतरकर लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराते, अस्पताल में भर्ती कराते और दवा दिलाते नजर आए. पप्पू यादव ने बिहार के पटना, आरा, छपरा सहित कई जगहों के अस्पतालों में जाकर सोशल मीडिया पर दिखाया कि कोरोना मरीज किस परेशानी से गुजर रहे हैं.

पप्पू यादव बीजेपी सांसद के घर में खड़ी एंबुलेंस को सामने लाए

कोरोना संकट के बीच बिहार में जब लोग अपने मरीजों को अस्पताल ले जाने और वहां से लाने के लिए एंबुलेस के लिए भटक रहे हैं और उनसे कई गुना पैसा वसूला जा रहा है तब पप्पू यादव ने सारण जाकर बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी के घर खड़ी कई दर्जन एंबुलेंस का वीडियो वायरल कर दिया. रूडी ने ड्राइवर न होने का तर्क दिया तो पप्पू यादव ने एक साथ 40 ड्राइवर लाकर खड़े कर दिए. ये बिहार और केंद्रीय स्तर पर बीजेपी के लिए किरकिरी वाली स्थिति थी.

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लॉकडाउन में गरीबों का सहारा बने पप्पू यादव

कोरोना के चलते पिछले साल जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर में लॉकडाउन लगाया तो बिहार के हजारों मजदूर घर वापसी के लिए सड़कों पर सैकड़ों किलोमीटर पैदल ही निकल लिए. तब पप्पू यादव दिल्ली में थे और वो तथा उनकी टीम जरूरतमंदों की मदद करती नजर आई. उन्होंने इसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया था. तब ऐसी खबरें खूब आईं जिनमें पप्पू यादव के जरूरतमंदों को मदद पहुंचाने, पैसा, दवा, राशन-पानी उपलब्ध करवाने और अति आवश्यक यात्रा के लिए गाड़ी की व्यवस्था करने का जिक्र था.  

लॉकडाउन में गरीबों की मदद करते पप्पू यादव

लॉकडाउन के चलते बिहार के तमाम छात्र राजस्थान के कोटा में फंस गए थे. नीतीश कुमार ने इनको वापस लाने से इनकार किया तो पप्पू यादव ने इन छात्रों के लिए 30 बसें भेज दीं. बिहार में आई बाढ़ के दौरान जरूरतमंदों तक पहुंचने का उनका अंदाज भला कौन भूल सकता है.

बिहार की राजधानी पटना में बाढ़ आई हो या फिर गोपालगंज से लेकर कोसी क्षेत्र तक हर जगह पप्पू यादव खड़े नजर आए. साल 2019 जुलाई में हुई बारिश में राजधानी पटना पानी से लबालब थी. तब पप्पू यादव खुद पानी में नाव चलाकर पटना के बाजार समिति, राजेंद्र नगर, कंकड़बाग सहित तमाम इलाकों में फंसे लोगों के बीच जाकर दूध, खाना और दवा पहुंचाते नजर आए. 

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बाढ़ में मदद करते पप्पू यादव

पप्पू ने अपने आवास को गरीबों के लिए खोल दिया था

पप्पू यादव जब सांसद थे तो दिल्ली में उनके सरकारी बंगले में करीब 500 लोगों के रुकने का इंतजाम था. ये ऐसे मरीज और उनके परिजन थे जो मधेपुरा सहित बिहार के अन्य इलाकों से इलाज कराने के लिए दिल्ली आते थे. बंगले के बाहर सुभाष चंद्र बोस सेवाश्रम का बोर्ड भी लगा है. 

अपने इन्हीं कार्यों के चलते पप्पू यादव ने अपने समर्थकों का एक आधार तैयार कर लिया है. जो सिर्फ उनके चुनाव क्षेत्र में नहीं बल्कि बिहार और देश के दूसरे हिस्सों में भी फैले हैं. मंगलवार को जब पप्पू यादव की गिरफ्तारी की खबर आई तो ट्विटर पर वो ट्रेंड करते रहे. विपक्ष ही नहीं, नीतीश सरकार के अपने मंत्री-नेता उनके समर्थन में ट्वीट करते रहे और सरकार पर सवाल उठाते रहे.

पप्पू यादव

पप्पू की गिरफ्तारी पर नीतीश के सहयोगी नाराज

पप्पू यादव की गिरफ्तारी पर नीतीश सरकार में मत्स्य-पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी ने तीखी प्रतिक्रिया दी. सहनी ने लिखा कि सरकार को जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संस्थाओं और कार्यकर्ताओं को जनता की सेवा के लिए प्रेरित करना चाहिए. सहनी ने कहा कि ऐसे समय में सेवा में लगे पप्पू यादव को गिरफ्तार करना असंवेदनशील है. मुकेश सहनी के इस तरह अपनी ही सरकार के फैसले का विरोध करने के बाद नीतीश सरकार कटघरे में आ गई है.

वहीं, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने पप्पू यादव की गिरफ्तारी पर ट्वीट किया कि कोई जनप्रतिनिधि अगर दिन-रात जनता की सेवा करे और उसकी एवज में उसे गिरफ्तार किया जाए, ऐसी घटना मानवता के लिए खतरनाक है. ऐसे मामलों की पहले न्यायिक जांच हो तब ही कोई कारवाई होनी चाहिए नहीं तो जन आक्रोश होना लाजमी है. 

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पप्पू के समर्थन में उतरे बीजेपी और जेडीयू विधायक

बेगुसराय के पूर्व सांसद और नीतीश कुमार के करीबी जेडीयू नेता मोनाजिर हसन ने कहा कि पप्पू यादव की गिरफ़्तारी की जितनी निंदा की जाए वो कम है, वो ग़रीबों के मसीहा के तौर पार काम कर रहे थे. उन्होंने कहा कि गिरफ़्तारी तो छपरा के डीएम और राजीव प्रताप रूडी की होनी चाहिए थी. मुसीबत के समय जब पप्पू गरीबों की मदद कर रहे थे, तब उनकी गिरफ़्तारी बेहद ही निंदनीय है. 

साथ ही जेडीयू नेता विजयेंद्र यादव ने पप्पू यादव की गिरफ़्तारी को गलत बताते हुए कहा कि मानवता के आधार पर राजीव प्रताप रूडी को एक मिनट भी सांसद रहने का अधिकार नहीं है, पप्पू यादव को मानवता के आधार पर सरकार को छोड़ना चाहिए, एंबुलेंस प्रकरण की जांच कर डीएम को बर्खास्त और सांसद का इस्तीफा कराना चाहिए. वहीं, बीजेपी एमएलसी रजनीश कुमार ने भी पप्पू यादव की गिरफ़्तारी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्हें अविलम्ब रिहा किए जाने की मांग की है. 

पप्पू यादव की अपराध कथा

पप्पू यादव ने सियासत में कदम रखने से पहले अपनी छवि बाहुबली वाली बना ली थी. पप्पू यादव के ऊपर हत्या-अपहरण जैसे 31 संगीन केस हैं. कोसी का इलाका एक दौर में पप्पू यादव और रणवीर सेना के टकराव में गोलियों से अक्सर गूंजता था. पप्पू यादव ने एक डीएसपी को चलती कार के सामने धकेल दिया था. 1998 में दिनदहाड़े माकपा नेता अजीत सरकार की हत्या हो गई थी, जिसमें पप्पू यादव को जेल ही नहीं जाना पड़ा बल्कि उम्र कैद भी हुई. हालांकि, हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया. इसी के बाद पप्पू यादव अपनी छवि बदलने की कोशिश में लगे हैं.

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