राम विलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस ने मोदी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेकर लौटते ही अपने आवास के बरामदे में लगी भाई की तस्वीर के आगे सिर झुकाया. भावुकता के इन पलों में बाहर बज रहे ढोल और नारों की आवाज भी शायद उनके कानों तक नहीं पहुंच रही होगी. कुछ पलों बाद उन्होंने सिर उठाया और कार्यकर्ताओं का अभिवादन स्वीकार किया. मीडिया से बात की तो बोले बड़े भैया ने जो रास्ता दिखाया है उस पर ही आगे चलेंगे.
पारस ने कहा कि सबसे पहले तो हाजीपुर की जनता का धन्यवाद जिसने मुझे चुन कर देश की सबसे बड़ी पंचायत में भेजा. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद, जिन्होंने मुझ पर विश्वास जताया. उन्होंने जो जिम्मेदारी दी है उसे पूरी शिद्दत से निभाऊंगा. पारस ने भावुकता से कहा कि हम राम लक्ष्मण भरत की तरह तीन भाई थे. अब सिर्फ मैं ही रह गया हूं. इसलिए मेरे ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है. बड़े भैया ने जिन गरीबों पिछड़ों दलितों और अधिकार विहीन लोगों के अधिकार की लड़ाई लड़ी मुझे उसे आगे बढ़ाना है.
रामविलास पासवान जी के अधूरे सपनों को पूरा करना है. मुझे जो विभाग मिला है उसमें जी जान से काम करना है. जो मौका मिला है उसका इस्तेमाल पूरी तरह करूंगा. पशुपति पारस ने दो टूक कहा कि वह आज जो कुछ भी हैं वह अपने बड़े भाई रामविलास पासवान की बदौलत हैं. रोजाना मेरे दिन की शुरुआत भाई की पूजा और उनके सपनों को पूरा करने के संकल्प से होती है. यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा.
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उधर उत्साह में झूम रहे लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यकर्ताओं की भीड़ अहाते में नारे लगा रही थी. आतिशबाजी की चमक और नारों की धमक आसमान में और पूरे वातावरण में बिखर रही थी.
इन सबके बीच सवाल जवाब के दौर भी चलते रहे. लेकिन पशुपति पारस को चिराग या पार्टी में चल रहे संघर्ष के सवाल रास नहीं आए. उनसे पूछा गया कि रामविलास की पूजा तो करते हैं लेकिन उनके बेटे चिराग से उनके रिश्ते कैसे हैं? इस सवाल पर वह भड़कते दिखे. उन्होंने कहा कि आज यह मौका नहीं है इन सब चीजों पर बात करने का. इन पर बाद में बात करेंगे. फिलहाल पशुपति पारस को रामविलास पासवान वाला खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग तो नहीं मिला लेकिन उनसे मिलता जुलता खाद्य प्रसंस्करण विभाग जरूर मिला है. जल्दी ही उसका काम संभालने के बाद वह विभाग की गतिविधियों का जायजा भी लेंगे.