scorecardresearch
 

पटना की हवा में घुला है जहर, बढ़ रहा गंभीर बीमारियों का खतरा

सेंटर फॉर एनवायरमेंट एंड एनर्जी के अध्ययन से यह साफ हो गया है कि पटना में हवा का स्तर अपने खतरनाक स्तर पर कायम है जिससे जन स्वास्थ्य की समस्याएं पैदी हुई हैं.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

Advertisement

पटना की हवा जहरीली हो चुकी है. सेंटर फॉर एनवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन से पता चला है कि 2017 के पूरे साल में केवल तीन दिन पटना की हवा में जहर नहीं था, यानि वो सांस लेने लायक थी.

पिछले साल एक प्रतिशत दिन ही ऐसे रहे जो जहरीले नहीं थे. ये गंभीर और चौंकाने वाली स्थिति लोगों को गंभीर बीमारियों की तरफ ले जा रही है. साल 2017 की एयर क्वालिटी पर किए गए अध्ययन में पटना में कई खतरनाक तथ्य सामने आए.

सेंटर फॉर एनवायरमेंट एंड एनर्जी के अध्ययन से यह साफ हो गया है कि पटना में हवा का स्तर अपने खतरनाक स्तर पर कायम है जिससे जन स्वास्थ्य की समस्याएं पैदी हुई हैं. सीड ने पटना शहर की 2017 की वायु अध्ययन के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रियल टाइम मॉनिटरिंग स्टेशनों से प्राप्त आंकडों का विशलेषण किया. अध्ययन से ये भी पता चला कि एक साल में आधे से अधिक दिनों में वायु की स्थिति को बेहद गंभीर श्रेणी में रखा गया है.

Advertisement

2017 में पटना में सबसे जहरीला महीना नवंबर रहा. PM2.5 का असर सबसे ज्यादा इसी महीने देखने के लिए मिला जो स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक माना जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक PM2.5 की मात्रा 138.6 मानी गई जो कि राष्ट्रीय औसत से चार गुणा अधिक है और डब्ल्यूएचओं के मापदंड के मुताबिक 14 गुणा अधिक है. सबसे गंभीर बात है कि सरकार का इस ओर कोई ध्यान भी नहीं है.

Advertisement
Advertisement