प्राइवेट टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों की जांच कराने के मामले में बिहार सरकार को एक जोरदार झटका लगा है. पटना हाईकोर्ट नें इन कॉलेजों की जांच कराने के सरकार के फैसले पर तत्काल रोक लगा दी है. इस मामले पर अगली सुनवाई 21 जून को होगी.
हाईकोर्ट में दायर की गई थी याचिका
पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश वी.नाथ ने बी.आर. अम्बेडकर कॉलेज ऑफ एजुकेशन की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया. हाईकोर्ट में दायर रिट पर बहस बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री पी.के. शाही और अरुण कुमार ने की. इन दोनों अधिवक्ताओं ने कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया. हलफनामे में मुख्य सचिव की ओर से बिहार के सभी डीएम और एसपी (शिवहर, शेखपुरा, अरवल और किशनगंज को छोड़कर) को लिखे गए पत्र का हवाला दिया.
पत्र में शिक्षकों को अच्छे प्रशिक्षण की बात
पत्र में यह लिखा गया है कि राज्य में शिक्षा के गुणात्मक विकास में योग्य एवं प्रशिक्षित शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण है. इसलिए शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की ओर से प्रशिक्षुओं(ट्रेनी) को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण दिया जाए.
डीएम और एसपी से मांगी रिपोर्ट
सूबे में 228 राजकीय शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान एनसीटीई से बीएड कोर्स के लिए मान्यता प्राप्त है. कई संस्थानों में दो प्रकार के कोर्स का भी संचालन किया जाता है. पत्र में इस बात का भी उल्लेख है कि प्रशिक्षण संस्थान एनसीटीई के नियमों के अनुसार काम कर रहा हो तथा उनमें नियमित प्रशिक्षण चल रहा हो. प्रशिक्षण संस्थान एनसीटीई के तहत काम कर रहा है या नहीं इसकी जनकारी सरकार के पास नहीं है.
हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा हलफनामा
मुख्य सचिव ने सभी डीएम और एसपी से इन टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों के आधारभूत संरचना तथा अन्य गतिविधियों की विस्तृत जानकारी की रिपोर्ट दस दिनों के अंदर भेजने का निर्देश दिया है. वहीं राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने सरकार का पक्ष रखना चाहा. न्यायालय ने सरकार को अगली सुनवाई यानि 21 जून को अपनी पक्ष रखने को कहा है. कोर्ट ने सरकार को इस केस से संबंधित हलफनामा हाईकोर्ट के फाइलिंग सेक्शन में दायर करने का निर्देश दिया है.