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बिहार सरकार को हाईकोर्ट का झटका, मानव श्रृंखला के रिकॉर्ड पर ब्रेक

बिहार में दहेज विरोध और बाल विवाह के खिलाफ जनजागरण के लिए सरकार ने 21 जनवरी को मानव श्रृंखला का ऐलान किया था. इसके लिए सरकार ने 11 जनवरी को एक एडवायजरी जारी कर कहा था कि इस श्रृंखला में स्कूली बच्चों और शिक्षकों को शामिल होना अनिवार्य है.

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पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट

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पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को जबरदस्त झटका दिया है. कोर्ट ने 21 जनवरी को दहेज उन्मूलन और बाल विवाह के खिलाफ बनने वाले मानव श्रृंखला में बच्चों और शिक्षकों के शामिल होने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है. कोर्ट ने ये भी कहा कि 4 हफ्ते बाद इस मामले में फिर से सुनवाई कर ये देखेंगे कि क्या सरकार ने किसी शिक्षक या बच्चे को जबरदस्ती मानव श्रृंखला में शामिल तो नहीं किया.

बिहार में दहेज विरोध और बाल विवाह के खिलाफ जनजागरण के लिए सरकार ने 21 जनवरी को मानव श्रृंखला का ऐलान किया था. इसके लिए सरकार ने 11 जनवरी को एक एडवायजरी जारी कर कहा था कि इस श्रृंखला में स्कूली बच्चों और शिक्षकों को शामिल होना अनिवार्य है. इसी एडवायजरी के आधार पर पटना हाईकोर्ट के वकील दीनू कुमार ने याचिका दायर कि और कहा ये गलत और असंवैधानिक है. दीनू कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश है कि शिक्षकों को केवल शैक्षणिक काम और चुनाव के काम में लगाया जा सकता है.

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बता दें, सरकार ने एडवायजरी में कहा था कि रविवार के दिन आयोजित मानव श्रृंखला में बच्चों और शिक्षकों का शामिल होना अन‍िवार्य है. इस श्रृंखला में बच्चों को सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी भी शिक्षकों की होगी. सरकार ने ये भी कहा कि, रविवार के बदले उन्हें किसी दुसरे दिन छुट्टी दी जाएगी.

हांलाकि, सरकार की तरफ से महाधिवक्ता ने कहा कि यह सरकार का अनुरोध था आदेश नहीं. तो फिर सवाल ये उठा कि बिना सरकारी आदेश के रविवार को स्कूल कैसे खुलेंगे. कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से ये भी दलील दी गई कि पिछले साल शराबबंदी के खिलाफ मानव श्रृंखला बनाई गई थी, लेकिन उसके बाद भी शराब के मामले के एक लाख केस दर्ज हुए और 70 हजार लोग जेल में हैं. इससे कोई जनजागरण नहीं होता है. यह पूरी तरह से राजनैतिक कार्यक्रम है.

2017 में भी बिहार सरकार ने 21 जनवरी को 4 करोड़ के मानव श्रृंखला बनाकर रिकॉर्ड बनाया था. इस बार उससे भी ज्यादा यानि लगभग 6 करोड़ की मानव श्रृंखला बनाकर अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ना था. लेकिन हाईकोर्ट के इस आदेश से इसकी संख्या पर असर पड़ सकता है. बिहार में करीब 2 करोड़ स्कूली बच्चे हैं और तीन लाख शिक्षक हैं. ऐसे में अगर इनकी शामिल होने की अनिवार्यता खत्म हो जाएगी तो संख्या को पूरा करना मुश्किल काम होगा.

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