
मनोज कुमार जो पटना के अथमलगोला प्रखंड अंतर्गत रामनगर दियारा के निवासी हैं, वह अपनी पत्नी और पांच छोटे-छोटे बच्चों के साथ पिछले 15 दिनों से खानाबदोश की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. बिहार में गंगा ने जो तांडव मचाया है उसकी वजह से रामनगर दियारा पूरी तरीके से जलमग्न हो चुका है और हजारों की आबादी आज उस पुल पर ठिकाना बनाए हुए हैं, जिसका इस्तेमाल वह कभी अपने गांव आने जाने के लिए किया करते थे.
मनोज कुमार, दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं. मगर इस बार गंगा में बाढ़ आने से उनका गांव पूरी तरीके से डूब गया है और वह अपनी पत्नी और 5 बच्चों के साथ एक पुल पर ठिकाना बनाए हुए हैं.
आजतक की टीम जब सोमवार को रामनगर इलाके में पहुंची तो मनोज कुमार और उनके परिवार वालों से बातचीत की और उन्होंने अपना दर्द बयां किया कि किस तरीके से वह लोग मुश्किल हालात में पिछले 2 सप्ताह से जीने को मजबूर हैं. मनोज कुमार ने बताया कि जब गंगा का पानी उनके गांव में घुसने लगा तो वे लोग अपना जो भी जरूरी सामान था उसको लेकर पुल पर चढ़ गए और यहीं रहने लगे.
मनोज कुमार ने बताया कि स्थानीय प्रशासन की तरफ से यह दावा किया गया कि बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रहने के लिए प्लास्टिक या फिर पन्नी दी जाएगी. मगर अब तक सर ढंकने के लिए उन लोगों को प्लास्टिक या पन्नी नहीं मिली है. इस कारण उन लोगों को खुद के पैसे से प्लास्टिक खरीद कर अपने ऊपर छत लगानी पड़ी है.
मनोज कुमार के इस छोटे से आशियाने में एक खटिया, एक गैस सिलेंडर, एक मिट्टी का चूल्हा और कुछ बर्तन मौजूद हैं जो वह अपने घर से बचाकर लाए थे.
मनोज कुमार ने बताया, 'गांव में बाढ़ आई तो अपने परिवार और बच्चों के साथ हम पुल पर आ गए. प्रशासन पता नहीं किसको प्लास्टिक और पन्नी दे रहा है मगर हम लोगों को अब तक कुछ नहीं मिला है. मुखिया और सरपंच कुछ नहीं दे रहा है और जिसको मिल रहा है उसको बहुत मिल रहा है. जिसको नहीं मिल रहा उसको कुछ नहीं मिल रहा है. प्रशासन की तरफ से 3 दिन पहले केवल ढाई किलो चूड़ा और थोड़ा गुड़ मिला है.'
मनोज कुमार की पत्नी ने आजतक से बातचीत के दौरान बताया कि किस तरीके से उनके गांव और घर में पानी भर गया है जिसकी वजह से उन लोगों को अपना घर छोड़कर पुल पर आकर शरण लेना पड़ा है. उन्होंने सरकार से पर्याप्त मदद नहीं मिलने को लेकर भी अपनी नाराजगी व्यक्त की है.
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मनोज कुमार ने बताया कि प्रशासन की तरफ से पास में ही बाढ़ राहत शिविर लगाया गया है जहां पर लोगों को खिचड़ी खिलाया जाता है और कभी-कभी वह लोग वहां जाकर खिचड़ी खा लेते हैं.
मनोज कुमार की पत्नी किरण देवी ने कहा, 'हम लोगों को पूरा घर डूब गया है और रहने के लिए हमारे पास कोई जगह नहीं है. सरकार ने हम लोगों को प्लास्टिक भी नहीं दिया है. हमलोग खरीद कर अपने सिर के ऊपर प्लास्टिक लगाए हैं. हम लोग खरीद कर खाना खाते हैं और जब भी वह कम पड़ता है तो राहत शिविर में जाकर कुछ खा लेते हैं. राहत शिविर में भी पूरा खाना नहीं मिलता है.'