पटना में मोदी की रैली के खत्म होते ही बीजेपी ने भले ही राहत की सांस ली हो, लेकिन रैली के बाद मिले जिंदा बम बेहद डरावनी तस्वीर पेश करते हैं. ब्लॉस्ट में 5 लोग मारे गए, लेकिन अगर जिंदा मिले 4 बम भी फट जाते तो मौत का आंकड़ा बढ़ सकता था.
उधर, बिहार के सीएम नीतीश कुमार का कहना है कि रैली के लिए सुरक्षा में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी गई थी. लेकिन हकीकत इसके उलट है. पूरे गांधी मैदान में एक भी मेटल डिटेक्टर गेट नहीं लगा था. मतलब कि कोई भी आसानी से किसी भी सामग्री के साथ गांधी मैदान में प्रवेश कर सकता था.
रैली में विस्फोट हुए और पांच लोगों की जान चली गई. चार जिंदा बम भी मिले, जिन्हें बाद में डिफ्यूज किया गया. डिफ्यूज करते समय इनकी आवाज इतनी ज्यादा थी कि कई किलोमीटर तक सुनाई दी. इनमें टाइमर सेट थे.
प्रशासन ने ढुलमुल रवैया अपना
बिहार के मुख्यमंत्री चाहे सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता होने का दम भर रहे हों, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने रैली को लेकर कोई सतर्कता नहीं दिखाई थी. एक दिन पहले, शनिवार को, गांधी मैदान में एक लावारिस बैग मिला था, लेकिन प्रशासन ने इसे हल्के में लिया. पूरे गांधी मैदान में एक भी मेटल डिटेक्टर गेट नहीं होना भी इस बात का प्रमाण है कि प्रशासन गंभीर नहीं था.
इसके अलावा धमाकों में घायल लोगों को पीएमसीएच में जमीन पर लिटाया गया था. अगर इलाज में तेजी दिखाई गई होती तो दो युवकों की जान बचाई जा सकती थी, जिन्होंने अस्पताल में पहुंचने के बाद दम तोड़ा.
सुशील मोदी का नीतीश कुमार पर हमला
बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने नीतीश कुमार पर हमला बोला है. सुशील मोदी ने कहा कि रैली को बड़े ही साधारण तरीके से लिया गया, जबकि 10 लाख के आसपास लोग पहुंचे थे. मोदी ने यह भी कहा सुरक्षा बहुत कमजोर थी.