पटना में गंगा नदी के अदालत घाट पर अफवाह के कारण मची भगदड़ में 17 लोगों की मौत के बाद अन्य अनहोनी की आशंका के कारण शाम की तुलना में सुबह कम संख्या में लोग उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने आए और आक्रोशित लोग प्रशासन को कोसते रहे.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि अदालत घाट के पास स्थित एक अस्थायी पुल (पीपा पुल) की सीढ़ियों के करीब मची भगदड़ के कारण सोमवार की शाम 17 लोगों की मौत हो गयी. महेंद्रू घाट के चचरी (बांस बल्ली) पुल के धंसने के बाद सोमवार को शाम का छठ व्रत का अर्घ्य देकर घर लौट रहे हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को अदालत घाट के पीपा पुल की ओर मोड़ दिया गया था.
पीपा पुल पर करंट आने की अफवाह के बाद अफरा तफरी मच गयी जबकि इसी बीच पांच मिनट के लिए बिजली कटने से अंधेरा होने और संकीर्ण रास्ता होने के कारण मची भगदड़ में 17 लोगों की मौत हो गयी और कई अन्य घायल हो गये.
कंकड़बाग निवासी प्रेम कुमार ने कहा कि अदालत घाट के पास गंगा नदी में बीच में सूखी जमीन में शाम को अर्घ्य देने के लिए बडी संख्या में लोग जुटे थे. लेकिन प्रशासन की बदइंतजामी के कारण हुए हादसे के बाद सुबह कम संख्या में श्रद्धालु आये. एक बुजुर्ग महिला नीता देवी ने प्रशासन को कोसते हुए कहा कि प्रशासन ने सुबह की तरह सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये होते तो कोई हादसा नहीं होता. इस हादसे के लिए प्रशासन की बदइंतजामी जिम्मेदार है.
भोजपुर जिले के अगियांव गढहनी थाना अंतर्गत बगवां गांव से आये जयप्रकाश भारती ने कहा कि अफवाह फैलने और संकीर्ण रास्ता होने के कारण यह हादसा हुआ. प्रशासन को एक एक कर लोगों को निकलने का निर्देश देना चाहिए था. पटना के गोलघर निवासी गोपाल कुमार ने कहा कि अत्यधिक भीड़-भाड और पीपा पुल पर अनियंत्रित ढंग से लोगों को आवाजाही की अनुमति देने के कारण यह हादसा हुआ. प्रशासन ने लोगों की आवाजाही के लिए दो लेन पीपा पुल पर नहीं बनाये थे.
उन्होंने कहा कि वह केवल 10 मिनट के अंतराल से बाल बाल बच गये. अत्यधिक भीड-भाड़ के कारण वह नदी के बीच में बने घाट पर रुक गये थे. देखते देखते करीब शाम साढे छह बजे के आस पास हादसा हो गया. कदमकुआं निवासी अमित कुमार ने कहा कि वह हादसे के बाद सहम गये थे इसलिए दुबारा घाट पर अपने बच्चों को लेकर नहीं आये. केवल पूजा के महत्व के कारण सुबह का अर्घ्य देने चले आये.
अर्घ्य देने के लिए आये एक छठव्रती जुगेश्वर राय ने कहा कि लोक आस्था का पर्व होने के कारण हादसे के बावजूद लोग घटनास्थल पर जुटे हैं. वह बीते तीन वर्ष से यहां पूजा कर रहे हैं लेकिन ऐसा कभी नहीं देखा.
बहरहाल अदालत घाट से निकास होते हुए अशोक राजपथ पर निकलने वाले संकीर्ण रास्ते में खुली नालियों में छठ की पूजा सामग्री, लोगों के पहचान पत्र, चप्पल आदि गिरे हुए थे. इस रास्ते के किनारे झुग्गियों में रहने वाले लोग भी सुबह सुबह हादसे के बारे में चर्चा कर रहे थे.