टॉपर्स घोटाले की सबसे बड़ी मछली सोमवार को एसआईटी के जाल में फंस गई. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह और उसकी पत्नी और जेडीयू की पूर्व विधायक उषा सिन्हा को एसआईटी ने सोमवार सुबह बनारस से गिरफ्तार कर लिया.
लालकेश्वर और उसकी पत्नी की गिरफ्तारी के बाद अब और कई बच्चा राय जैसे शिक्षा माफियाओं का नाम सामने आ सकता है. टॉपर्स घोटाले में 'आज तक' के खुलासे के बाद एसआईटी इस मामले की जांच कर रही है. अब तक एक दर्जन से ज्याद आरोपी गिरफ्तार किए जा चूके हैं, लेकिन इसमें लालकेश्वर और उषा सिन्हा की गिरफ्तारी सबसे अहम है. एसआईटी की टीम पिछले कई दिनों से बनारस में डेरा डाले हुए थी और बनारस में छुप के रह रहें लालकेश्वर और उसकी पत्नी पर नजर बनाए हुए थी.
बनारस में जाकर छिपे
लालकेश्वर और उसकी पत्नी उषा सिन्हा इस मामले में आरोपी बनने के बाद से ही फरार चल रहे थे और बनारस के भेलूपुर इलाके में छिपकर रह रहे थे. यहां लालकेश्वर के एक रिश्तेदार का घर है. लेकिन एसआईटी को इसकी भनक लग गई थी, इसी वजह से ये दोनों यहां से निकल कर किसी आश्रम में छिपने के इरादे से जब सुबह निकले तो घात लगाए बैठी एसआईटी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. लालकेश्वर अपने बेटे के साले विकासचंद के बहनोई के घर छिपा था.
विकासचंद वही है जिसे लालकेश्वर ने लेनदेन के लिए रखा था. यह लालकेश्वर का खास पीए था जिसके जरिए वो डिलिंग करते थे. विकासचंद को एसआईटी तलाश कर रही है लेकिन वह फरार है.
कई शिक्षा माफिया शामिल
लालकेश्वर प्रसाद सिंह पिछले दो सालों से बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष था और इस दौरान कई परीक्षाएं आयोजित की गई आज ये सभी परीक्षाएं संदेह के घेरे में. एसआईटी उस मामले के तह तक जाने लिए बेताब हैं, क्योंकि एसआईटी का मानना है कि टॉपर्स घोटाले में केवल बच्चा राय ही शामिल नहीं है बल्कि बच्चा राय की तरह कई और शिक्षा माफिया हैं, जो हेराफेरी कर छात्रों को टॉप या फिर पास कराते हैं.
एसआईटी जी जांच में यह तथ्य सामने आया है कि असली परीक्षार्थी की जगह स्कॉलरों को बैठाने का खेल चलता था. और ये सब लालकेश्वर के इशारे पर होता था.
जानबूझकर करते एडमिट कार्ड में गड़बड़ी
परीक्षा में स्कॉलरों को बैठाने के पीछे का खेल भी अब साफ हो चूका है. ये खेल बोर्ड की ओर से परीक्षार्थियों को फॉर्म भरवाने के साथ शुरू हो जाता था. जिन छात्रों या कॉलेज के साथ बोर्ड अध्यक्ष की डील होती थी उनको फॉर्म मे गड़बड़ी करने को कहा जाता था. इसके बाद उन्हें बोर्ड की ओर से गलत एडमिट कार्ड जारी हो जाता था. परीक्षार्थियों को एडमिट कार्ड में गड़बड़ी को दूर करने के लिए कॉलेज के प्रिसिपल को अधिकार दे दिए जाते थे. वो परीक्षार्थियों की एडमिट कार्ड के विविरण को सुधार कर हस्ताक्षर और मुहर के साथ एडमिट कार्ट जारी कर देते थे.
यहीं पर कमजोर छात्र की जगह स्कॉलर की फोटो लगा दी जाती थी. परीक्षार्थी का नाम तो असली रहता था लेकिन एडमिट कार्ड में फोटो स्कॉलर का होता था. ज्याद परेशानी होने पर बोर्ड के द्वारा परीक्षा केन्द्रों पर ऐसे जारी एडमिट कार्डों की जानकारी दे दी जाती थी ताकि उसकी गलतियों पर परीक्षक भी उस पर ध्यान नही देते थे. उसके बाद संबंधित कालेज परीक्षा केन्द्र से सेंटिंग कर केवल उपस्थिति पंजी पर असली छात्र का हस्ताक्षर करा लिया जाता था.
यही कारण है कि एसआईटी के छापे के दौरान बहुत सारे सादे एडमिट कार्ड बिशुन राय कालेज से बरामद हुए. लालकेश्वर बोर्ड के सभी नियमों को दरकिनार कर सीधे क्लर्कों से बात कर परीक्षा और रिजल्ट में गड़बड़ी को अंजाम देते थे. कुछ अफसरों का भी इसमें अहम रोल होता था, यही वजह थी कि लालकेश्वर के दफ्तर से घर तक कई अफसरो या क्लर्कों की बेरोक आवाजाही थी.
बच्चा राय और लालकेश्वर की सांठ-गांठ
लालकेश्वर और बच्चा राय के मोबाइल का सीडीआर दोनों की साठ-गांठ की गवाही दे रहा है. एसआईटी के मुताबिक दोनों के बीच लंबी-लंबी बातें हुआ करती थीं. एसआईटी ने बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह और उसकी पत्नी का प्रोफेसर उषा सिन्हा और बच्चा राय के करीबियों की लिस्ट तैयार कर ली है इसमें तीन दर्जन से ज्यादा लोगों के नाम दर्ज हैं. कई नाम शिक्षा जगत से जुडे लोगों का हैं इसमें प्रिसिंपल से लेकर क्लर्क तक शामिल हैं. लालकेश्वर और उसकी पत्नी की गिरफ्तारी के बाद इसमें कई और नाम जुड सकते हैं.
लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने केवल रिजल्ट में हेराफेरी कर पैसे नही कमाएं बल्कि बोर्ड अध्यक्ष रहते हुए उसने अपने बेटे को भी फायदा पहुंचाया. बोर्ड ऑफिस में स्थित स्टेट बैंक जहां बोर्ड का खाता हुआ करता है उसमें लालकेश्वर ने बोर्ड का पैसा जमा न करवा कर उस बैंक में पैसा जमा करवाया जिसमें उसका बेटा काम करता था. बोर्ड का लगभग 54 करोड रुपया जमा कराने के एवज में उस बैंक ने लालकेश्वर के बेटे को कई पदोन्नतियां भी दी.
बच्चा राय ने कमाई अकूत संपत्ति
उधर बच्चा राय पर टाँपर्स मामले के साथ साथ आर्म्स एक्ट का मुकद्दमा भी चलेगा. उसके घर से अवैध देशी पिस्तौल एसआईटी ने छापे के दौरान बरामद किया है. इससे पहले बच्चा राय के घर से लाखों रुपये का जेवर भूसे में छिपा कर रखे गए थे, जिसकी कीमत करीब 20 लाख रूपये बताई जाती है. साधारण परिवार में जन्मे बच्चा राय ने पिछले 15 वर्षो में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर अकूत सम्पति बनाई. छापे के दौरान उसके यहां से लगभग 200 जमींन रजिस्ट्री के कागजा बरामद किए गए. करीब 1600 कठ्ठा जमींन उसने हाल के वर्षों में खरीदी.
अब सख्त हुई सरकार
यही हाल लालकेश्वर का है पटना विश्वविद्यालय में भूगोल के प्रोफेसर रहें लालकेश्वर प्रसाद सिंह कुछ महीनों के लिए पटना कालेज के प्रिसिंपल भी रहे. उस दौरान प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने आरोप लगाया था कि बिहार में पत्रकारों पर सेंसर है तब लालकेश्वर ने हंगाम कर दिया था उसी के फलस्वरूप उसे बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का अध्यक्ष बना दिया गया. रिकॉर्डतोड़ नकल की तस्वीर जब पूरी दुनिया में वायल हो गई तो इस बार सरकार ने नकल रोकने में तत्परता दिखाई. और नकल न के बराबर होने दिया. लेकिन लालकेश्वर जैसे शातिर किंगपिंग को अध्यक्ष बने रहने दिया लेकिन यहां भी उसने अपने दांव नही छोडे नकल तो नही होने दी लेकिन परीक्षा के बाद नंबर बढ़ाने और टॉप कराने का जो खेल था उसे खुलकर खेला गया. नतीजा 'आज तक' ने जब इसका खुलासा किया तब सरकार नींद से जागी. और 8 जून को लालकेश्वर को पद से हटाया गया.
222 छात्रों के एक जैसे नंबर
'आज तक' की बिशुन राय कालेज पर पिछले साल से ही नजर थी, जब उसके 222 छात्रों को एक ही जैसे अंक मिले थे, क्योंकि उन सभी कापियों में एक जैसे उतर लिखे थे. इस साल जब 9 मई को साईंस का रिजल्ट आया तो बिशुन राय कॉलेज के सौरभ श्रेष्ठ को टॉपर बताया गया.