मांगी राहत मिली गोली, ऐसा ही कुछ बिहार के दरभंगा जिले में देखने को मिला. जिले के हनुमान नगर प्रखंड के सैकड़ों बाढ़ पीड़ित लोग राहत की मांग लेकर अधिकारियों के पास गए. इस दौरान बीडीओ और सीओ के साथ लोगों की तू तू... मैं मैं... हो गई. विवाद बढ़ा और पुलिस ने बाढ़ पीड़ितों पर गोली चलवा दी.
राहत मांगने पहुंचे लोग उग्र हुए तो मामला बिगड़ता देख पुलिस ने आनन फानन में गोली चलानी शुरू कर दी. हालांकि पुलिस की गोली किसी बाढ़ पीड़ित को नहीं लगी, लेकिन इस दौरान हुई भगदड़ में करीब दर्जनभर लोग घायल हो गए.
पुलिस ने कहा कि उसे आत्मरक्षा के लिए हवाई फायरिंग करनी पड़ी लेकिन वहां मौजूद ट्रक पर लगी गोलियों से साफ है कि फायरिंग हवाई नहीं थी. दूसरा झूठ पुलिस का सामने तब आया जब उसने कहा कि महज तीन चक्र फायरिंग की गई थी लेकिन सिर्फ ट्रक पर ही चार गोलियों के निशान मिले.
सवाल ये उठता है कि पुलिस को गोली क्यों चलानी पड़ी? पुलिस ने पहले बल प्रयोग क्यों नहीं किया? पुलिस ने गोली चलाने से पहले चेतावनी क्यों नहीं दी. कितने चक्र की गोली चली और किसके आदेश पर फायरिंग हुई? इन सवालों का तत्काल जवाब देने वाला कोई भी सरकारी अधिकारी नहीं था और जो थे वे बोलने को तैयार नहीं थे. गौरतलब इससे पहले भी दरभंगा में बाढ़ पीडितों पर पुलिस ने फायरिंग की थी तब तीन लोगों की मौत हुई थी फि, फिर भी पुलिस ने कोई सीख नहीं ली.
गोली चलने के तुरंत बाद दरभंगा के सांसद कीर्ति आजाद भी मौके पर पहुंचे. उन्होंने अधिकारियों की जमकर क्लास ली. कीर्ति आजाद ने अधिकारियों को डपटते हुए बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की. कीर्ति आजाद का गुस्सा इतने पर भी नहीं रुका अधिकारियों के पेट पकड़ बढ़ रही चर्बी को दिखाते हुए हिदायत दी की अगर लोगों को छोड़ दिया जाए तो तुम्हारी बोटी बोटी नोच लेंगे. उन्होंने अधिकारियों को धमकी भरे लहजे में कहा की अगर बाढ़ पीड़ित पर कोई मुकदमा हुआ तो पुलिस के खिलाफ वो खुद मुकदमा करेंगे.