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चुनावी घमासान के लिए तैयार होते उम्‍मीदवार: 'बिहार डायरी बिफोर इलेक्शन' पार्ट-12

बिहार में किस क्षेत्र से किसको मिलेगा टिकट और किसका 'कटेगा' टिकट, इस पर चर्चा अभी से गरम है. हालांकि सभी पार्टियां अभी फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही हैं. पेश है चुनावी हालात का जायजा लेती 'बिहार डायरी बिफोर इलेक्शन' की 12वीं किस्‍त...

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बिहार (Symbolic Image)
बिहार (Symbolic Image)

बिहार में किस क्षेत्र से किसको मिलेगा टिकट और किसका 'कटेगा' टिकट, इस पर चर्चा अभी से गरम है. हालांकि सभी पार्टियां अभी फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही हैं. पेश है चुनावी हालात का जायजा लेती 'बिहार डायरी बिफोर इलेक्शन' की 12वीं किस्‍त...

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1. बीजेपी के विधायक संतोष कुशवाहा जेडीयू के टिकट पर पूर्णिया से चुनाव लड़ेंगे, यह लगभग पक्का हो गया है. चुनाव में यह नॉरमल बात है. सुशासन की पार्टी को भगवा प्यादों से दिक्कत नहीं है, सिर्फ वजीर से दिक्कत है. नीतीश बाबू सिर्फ विधायक तोड़ पा रहे हैं, बीजेपी उनके सांसद तोड़ रही है. यानी कोई पत्थर लूट रहा है, कोई हीरा.

जहां तक टिकट कन्‍फर्म होने की बात है, तो कई बार तो पार्टी अध्यक्ष रात के ढाई बजे भी किसी 'बुरे ख्वाब' की वजह से टिकट बदल देता है. लेकिन बायसी (पूर्णिया) से बीजेपी का यह विधायक इतना आश्वस्त है कि उसने दो बार भव्य भोज और एक बार सत्यनारायण पूजा सह भोज का आयोजन कर लिया है. ऐसा 'अपनों को तौलने' के लिए किया गया है. कुशवाहा को पप्पू यादव का गुप्त समर्थन हासिल है, जिसमें 'लक्ष्मी' का सहयोग भी शामिल है. दूसरी तरफ कुशवाहा के मैदान में आने से पूर्णिया की लड़ाई इसलिए रोचक हो जाएगी कि उसमें पप्पू यादव के कूदने की संभावना मजबूत हो जाएगी. पप्पू लड़ाई त्रिकोणात्मक चाहते हैं, ताकि बीजेपी के उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह को मात दे सकें.

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यों कुशवाहा ने ठीक ही किया. बीजेपी में पूर्णिया के सिटिंग एमपी के रहते भविष्य अटका हुआ था. अब सुशासन के टिकट पर चुनाव लड़ने से न केवल 'लक्ष्मी' की भारी आमद होगी, बल्कि जिला कलक्टर भी साल भर फोन उठाएगा. जीत-हार अलग बात है. उधर कुशवाहा का नाम आते ही बहुत दिनों से टिकट की आस लगाए विधायक लेसी सिंह ने मुंह फुला लिया है. धमकी दी है कि अगर कुशवाहा को टिकट दिया गया, तो जेडीयू की पूरी जिला कमेटी इस्तीफा दे देगी. लेकिन जानने वाले जानते हैं कि जेडीयू जैसी पार्टियों में जिला-कमेटी कैसी होती है.

2. ये रामाधार सिंह बासेपुर के नहीं, बल्कि बिहार के औरंगाबाद से विधायक हैं और अन्ना टाइप धमकी दे रहे हैं. गुप्त खबर यह है कि रामाधार सिंह ने धमकी दी कि अगर जेडीयू सांसद सुशील सिंह को औरंगाबाद से बीजेपी का टिकट दिया गया, तो वे पार्टी मुख्यालय में जहर खा लेंगे. धमकी का असर हुआ. बडी़ बदनामी होती, सो बीजेपी डर गई, जबकि राजनाथ-मोदी ने फाइनल कर दिया था. गौरतलब है कि ये वही सुशील सिंह हैं, जिन्होंने पिछली बार रामाधार के खिलाफ अपने भाई को आरजेडी से चुनाव लड़वा दिया था और मासूमियत से कहा था कि उनका भाई उनकी औकात से बाहर हो गया है. उस समय जेडीयू-बीजेपी का गठबंधन भी था. सुशील सिंह, भाई को विधायक बनवाने के लिए तत्काल के लालच में आ गए थे, अब रामाधार सिंह कायदे से बदला ले रहे हैं.

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औरंगाबाद बिहार का राजपूताना है और यहां एक जमाने में सत्येंद्र नारायण सिंह उर्फ छोटे साहब बडे़ नेता थे. उनके पिता अनुग्रह नारायण सिंह बड़े स्वतंत्रता सेनानी हुए. छोटे साहब मुख्यमंत्री भी बने, उनके बेटे दिल्ली पुलिस के कमिश्नर थे निखिल कुमार, वे भी सांसद बने और उनकी पत्नी श्यामा सिंह भी. निखिल कुमार की मां किशोरी सिंह भी वैशाली से सांसद थीं. कुल मिलाकर छोटे साहब का खानदान 9 बार सांसद रहा. इधर कुछ दिनों से सुशील सिंह जागे हैं, लेकिन रामाधार सिंह ने ठान लिया है कि इस बार दिल्ली नहीं जाने देंगे.

(यह विश्लेषण स्वतंत्र पत्रकार सुशांत झा ने लिखा है. वह इन दिनों ‘बिहार डायरी बिफोर इलेक्शन’ के नाम से ये सीरीज लिख रहे हैं.)

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