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नरेन्द्र मोदी की 'हुंकार रैली' पर गरमाई सियासत

बीजेपी ने भले ही 27 अक्टूबर को पटना में होने वाली नरेन्द्र मोदी की रैली को हुंकार रैली का नाम दिया हो पर इस नाम को लेकर ही सियासत तेज हो गई है. विपक्ष ने सबसे ज्यादा "हुंकार" नाम को ही अपने निशाने पर लिया है.

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मोदी रन गेम
मोदी रन गेम

बीजेपी ने भले ही 27 अक्टूबर को पटना में होने वाली नरेन्द्र मोदी की रैली को हुंकार रैली का नाम दिया हो पर इस नाम को लेकर ही सियासत तेज हो गई है. विपक्ष ने सबसे ज्यादा "हुंकार" नाम को ही अपने निशाने पर लिया है. जेड़ी-यू के शीर्ष नेता इस हुंकार नाम को ये कहकर खारिज करते है कि "हुंकार" नाम ही नकारात्मक है इससे समाज को लड़ने-लड़वाने की साजिश की बू आती है. जेड़ी-यू ने जहाँ इसे हुंकार की जगह चीत्कार रैली का नाम दिया है वहीं आरजेड़ी ने इसे खूंखार रैली कह रही है.

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पटना में मोदी की रेली की तैयारियाँ जोरो पर है,बीजेपी ने इसे सफल बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है लेकिन बिहार में इस बात पर भी सियासत जोर पकड़ रही है कि आखिर रैली का नाम "हुंकार रैली" क्यों रखा है. जेड़ी-यू के शीर्षस्थ नेता ने इसके नाम पर ही सवाल उठा दिया हैं. बड़े नेता इस हुंकार को नकारात्मक नाम करार दे रहे है, पार्टी के शीर्ष नेताओं के मुताबिक इस रैली को ही समाज में लड़ने-लड़वाने वाला नाम दिया गया है, हालाँकि पार्टी प्रवक्ता इसे हुंकार के बदले चीत्कार रैली करार दे रहे हैं.

जेड़ी-यू प्रवक्ता संजय सिंह के मुताबिक-देखिए बीजेपी की ये हुंकार नहीं चीत्कार रैली है. जबसे ये लोग सत्ता से बाहर हुए हैं छाती पीटकर रो रहे हैं, सपने मे भी नरेन्द्र मोदी का चेहरा देख रहे हैं लेकिन लग रहा बिहार में रैली नहीं आक्रमण करने बिहार आ रहे हैं.

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मोदी की रैली को आरजेड़ी हुंकार की जगह खूंखार रैली कह रही है, आरेजड़ी का मानना है कि बीजेपी ने अपने चरित्र के हिसाब से इस रैली का नामकरण किया है.सदन आरजेड़ी के नेता अब्दुलबारी सिद्दकी कहते हैं-'देखिए बेहतर होता बीजेपी अपने वर्ग चरित्र के हिसाब से इसे हुंकार के बजाए खूंखार रैली कहती,युद्ध के मैदान में हुंकार होता है लेकिन इन्होंने अपने चरित्र के हिसाब इसका नाम रखा पर हम इसे खूंखार रैली कहते है, जो इनके नेता की छवि है औऱ नेता के जो कारनामे है उसके हिसाब से ये तो खूंखार रैली है".

बीजेपी इस नाम को सकारात्मक नाम मान रही है उसके मुताबिक ये हुंकार बिहारवासियों के अंतरात्मा की आवाज होगी जो 27 अगस्त को गाँधी मैदान में निकलेगी. बीजेपी के मुताबिक चूँकि ये केन्द्र और बिहार सरकार के खिलाफ संघर्ष का आह्वान है इसलिए इसका नाम हुंकार रैली बिल्कुल सटीक है. बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांड़े के मुताबिक,-"बिहार की जनता ने तय किया है वो 60 साल से बिहार के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ संघर्ष करेंगे राज्य सरकार ने जो धोखा किया है उसके खिलाफ संघर्ष करेंगे. और जब कही संघर्ष करना होता है तो उसके लिए हुंकार भरना होता है. देखिए जिनकी पार्टी में चीत्कार करने वाले और खूंखार लोग हैं उन्हें ही इस नाम मे खोट दिख रहा है.

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बहरहाल विपक्ष की नजर में ये रैली न सिर्फ मोदी की ब्रांड़िग के लिए हो रही है बल्कि इससे बीजेपी कार्यकर्ताओं को आक्रामक भी बनाया जाएगा तभी तो मोदी की रैली नाम पर सियासत छिड़ी है. विपक्ष इस रैली को कई नामों से नवाज रहा है पर बीजेपी बेफिक्र है उसे उम्मीद है जितना उसे निशाना बनाया जाएगा उसे उतना ही फायदा होगा.

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