बिहार में प्रशांत किशोर जन सुराज पदयात्रा का शनिवार को 112वां दिन है. पदयात्रा की शुरुआत गोपालगंज के मांझा प्रखंड के धरमपरसा हाई स्कूल में सर्वधर्म प्रार्थना सभा से हुई. शनिवार को गोपालगंज में जन सुराज पदयात्रा का सातवां दिन है. इस दौरान प्रशांत किशोर ने स्थानीय लोगों, पंचायती राज व्यवस्था से जुड़े जन प्रतिनिधियों, महिलाओं, युवाओं और समाज के अलग-अलग वर्ग के लोगों के साथ बातचीत की. इसके बाद प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को याद नैतिकता याद दिलाते हुए कहा कि वाजपेयी जी के मना करने के बावजूद असम रेल दुर्घटना पर नीतीश कुमार ने इस्तीफा दिया था.
गोपालगंज के मांझा प्रखंड के धर्म परसा गांव स्थित जन सुराज पदयात्रा शिविर में स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि आज से 2 दशक पहले असम में गैसल ट्रेन दुर्घटना हुई थी. जिसमें 290 लोगों की मृत्यु हो गई थी. अटल बिहारी वाजपेयी के मना करने के बावजूद नीतीश कुमार ने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. उस समय नीतीश कुमार को राजनीतिक नैतिकता की समझ थी. लाल बहादुर शास्त्री के बाद वो भारत के दूसरे ऐसे रेल मंत्री थे, जिन्होंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था.
उन्होंने कहा कि 2020 के विधानसभा के चुनाव में सिर्फ 42 विधायक जीते हैं और फिर भी सत्ता का नशा नीतीश कुमार के अंदर इस कदर है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर फेविकोल लगा कर बैठे हैं. आज कोई न कोई जुगाड़ लगा कर कुर्सी से चिपके रहना चाहते हैं. यही नीतीश कुमार की सच्चाई है. मैंने जिस नीतीश कुमार की मदद 2015 में की थी, उस समय के नीतीश कुमार और आज के नीतीश कुमार में ज़मीन आसमान का फर्क़ है.
'1200 से 1500 परिवार के लोग ही विधायक-मंत्री बनते आ रहे हैं'
जन सुराज पदयात्रा शिविर में लोगों को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि कुछ लोगों का सोचना है कि मैं नहीं रहूंगा तो जन सुराज का क्या होगा? इसी भ्रम ने आपको और हमको बर्बाद किया है. दिमाग में लगी इसी काई को साफ करने की जरूरत है. महात्मा गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष सिर्फ एक बार रहे, वो अगर चाहते तो पूरी जीवन अध्यक्ष रहते, उन्हें कौन रोकता? अगर गांधी जी अध्यक्ष होते तो हम मौलाना आजाद, पंडित नेहरू, बाबा साहब को कैसे जान पाते? यही तो लोकतंत्र की ताकत है. आज हमने बिहार में लोकतंत्र को खत्म कर दिया है. आज विधायक का लड़का विधायक होगा, मंत्री का लड़का मंत्री होगा. इसी मानसिकता को हम ढ़ो रहे हैं. पिछले 30 साल में विधायक, मंत्री जो बने हैं, उसका हिसाब-किताब देखियेगा तो पता चलेगा कि 1200 से 1500 परिवार के लोग ही विधायक-मंत्री बनते आ रहे हैं.