चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पिछले एक महीने से करीब 3500 किलोमीटर की जनसुराज पद यात्रा पर निकले हैं. 2 अक्टूबर से शुरू हुई इस पदयात्रा ने अब तक 275 किलोमीटर का सफर तय कर लिया है. प्रशांत किशोर गांव-गांव जाकर लोगों से बातचीत कर रहे हैं और लोग उनके साथ जनसुराज पद यात्रा में जुड़ते भी जा रहे हैं.
जहानाबाद के समाजसेवी व शिक्षाविद अक्षय आनंद भी प्रशांत किशोर के साथ जुड़ गए हैं. उनका कहना है कि यह कहना गलत नहीं होगा कि आज आजादी के इतने साल के बाद भी बिहार की स्थिति काफी दयनीय है, आज भी बिहार दम तोड़ती शिक्षा व्यवस्था, गरीबी, भुखमरी, व बेरोजगारी जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रही है.
जनसुराज पद यात्रा से जुड़ने की अपील करते हुये अक्षय आनंद ने कहा कि सरकारों के रोना रोने से अच्छा है कि आप इस समस्या की जड़ तक जाएं, आज झारखंड की स्थिति हमसे बेहतर है, झारखंड के विकास में वहां की औद्योगिक घरानों के साथ ही राज्य के कुशल नेतृत्व भी बधाई का पात्र है, लेकिन बिहार में हमने उद्योग को पनपने ही नहीं दिया.
अक्षय आनंद ने कहा कि जनसुराज की पहली प्राथमिकता बिहार में पलायन कर चुके लोगों को अपने गृह राज्य में बुलाकर उनके रोजगार की समुचित व्यवस्था करना व पलायन रोकना है, उन्हें वापस बिहार में लाकर 15 से 20 हजार तक के रोजगार की समुचित व्यवस्था करना हमारा पहला उद्देश्य है.
अक्षय आनंद ने कहा कि अगर जनसुराज रहती है तो यहां के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए बाहर भटकना नहीं पड़ेगा, कृषि और किसानों को उनकी फसलों के उचित कीमतें मिलेंगी, पदयात्रा से हम जनभावनाओं को समझ रहे हैं, इस पद यात्रा का मूल उद्देश्य लोगों की जन समस्याओं को समझना और उन्हें जागृत करना है.
गौरतलब है कि प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर को अपनी पदयात्रा शुरू की और एक महीने बाद ही सियासी सक्रियता के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा था कि 3500 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी होने के बाद वे जनता के मिजाज को देखते हुए राजनीतिक दल के गठन को लेकर कोई फैसला करेंगे.
अब पदयात्रा के एक महीने पूरे होने पर प्रशांत किशोर ने कहा है कि वे राजनीतिक दल बनाने को लेकर 11 या 12 नवंबर को ही निर्णय ले लेंगे, हम जल्द ही जन सूरज अभियान के जिला सम्मेलन की बैठक के बाद 11 या 12 नवंबर को अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने को लेकर निर्णय लेंगे.