प्रेस कांउसिल ऑफ इंडिया ने बिहार में प्रेस की आजादी को लेकर नीतीश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की तीन सदस्यीय जांच टीम ने नीतीश सरकार पर राज्य में प्रेस की आजादी को दबाने और दबाव बनाकर उसे सरकार का मुखपत्र बना देने जैसे आरोप लगाए हैं.
हालांकि अभी ये रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है लेकिन इस रिपोर्ट की कुछ अहम बातें मीडिया के सामने आई है.
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि बिहार में इस समय प्रेस पर एक अघोषित सेंसरशिप लगा है. इस रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि सरकार ने सरकारी विज्ञापनों को लेकर ऐसा दबाव बनाया है जिससे हालात इमरजेंसी जैसे हो गये है, ऐसे माहौल में काम कर रहे पत्रकार घुटन और असहाय महसूस कर रहे हैं. राज्य मे हो रहे आंदोलन, सड़कों पर होने वाले घरने प्रदर्शन और जनता से जुड़े मुद्दों को अखबार में जगह नहीं मिल पा रही. इस तरह परोक्ष रूप से मीडिया पर नियंत्रण जैसी स्थिति बनी हुई है जो लोगों के मौलिक संवैधानिक अधिकारों का हनन है.
दरअसल राज्य में कई तबकों की तरफ से सरकार के खिलाफ उठ रही आवाज के बाद प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जस्टिस मार्कण्डे काटजू ने एक तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की थी.
नीतीश सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि सरकार सरकारी विज्ञापन की आड़ में भ्रष्टाचार के मामले और विपक्ष की आवाज को दबा रही है और सिर्फ अपने प्रचार के लिए मीडिया का इस्तेमाल कर रही है.
मीडिया में इसके लीक होते ही लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार को आड़े हाथो लिया है और कहा कि सरकार ऐसा सालों से कर रही थी.