शनिवार 9 मार्च को पटना में राष्ट्रीय जनता दल की एक अहम बैठक होने जा रही हैं. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हो रही इस बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकते हैं. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों को दिए जाने वाले टिकट( सिंबल) पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत किए जाना. दरअसल, आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले मामले में जेल में हैं. ऐसे में जेल के अंदर से पार्टी अध्यक्ष का सिंबल पर हस्ताक्षर करना कानूनी रूप से मान्य नहीं होगा. इसलिए राबड़ी देवी को ये जिम्मेदारी सौंपी जा रही है.
गौरतलब है कि आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जब चारा घोटाले मामले में पहली बार 1997 में जेल जा रहे थे, तब उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर राबड़ी देवी को बिहार की गद्दी सौंपी थी. अब फिर एक बार राबड़ी देवी को लालू यादव के जेल में रहने के कारण ये जिम्मेदारी सौपी जा रही है. हालांकि लालू प्रसाद यादव ने अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को अपनी राजनैतिक विरासत सौंपी है. उन्होंने महागठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद दिलवाया और बाद में वो आरजेडी के संगठन को बिना किसी पद की जिम्मेदारी के सम्भाल रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद लालू यादव ने ये जिम्मेदारी राबड़ी देवी को देने की बात कही है तो इसके पीछे की वजह पार्टी को एकजुट रखना है.
यही नहीं, राबड़ी देवी आरजेडी के राज्य और केन्द्रीय संसदीय बोर्ड की अलग- अलग होने वाली बैठक की अध्यक्षता भी करेंगी. इस बैठक में लोकसभा चुनाव में पार्टी की रणनीतियों पर विचार किया जायेगा. सुबह 10 बजे राज्य संसदीय बोर्ड की बैठक होगी. इस बैठक में पारित प्रस्ताव को 12.30 बजे केन्द्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक में पेश किया जायेगा और प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लिया जायेगा. इसके बाद 2 बजे दोपहर में आरजेडी विधानमंडल दल की बैठक होगी जिसकी अध्यक्षता राबड़ी देवी करेंगी.
सजायाफ्ता द्वारा सिंबल बांटने पर लंबित है निर्णय
आरजेडी शुरू से ही इस संशय में थी कि जेल में रहने के दौरान लालू यादव अपने उम्मीदवारों को सिंबल एलॉट कर सकते हैं या नहीं. लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जेल से लालू यादव के सिंबल एलॉट करने पर जेलर का काउंटर हस्ताक्षर करना पड़ेगा. इससे एनडीए चुनाव में इसका राजनीतिक फायदा उठा सकती है कि राजद के उम्मीदवार भी जेल से ही तय हुए हैं.
राजद के संविधान के मुताबिक राजद अध्यक्ष लालू यादव को अधिकार है कि वे किसी को भी कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर सकते हैं. हालांकि सजायाफ्ता सिंबल बांट सकते हैं या नहीं, यह निर्णय अभी चुनाव आयोग के स्तर पर लंबित है.